<p>हर साल पितृपक्ष पर पूर्वजों के लिए श्राद्ध कर्म किया जाता है। इन दिनों में पिंडदान, तर्पण, हवन और अन्न दान मुख्य होते हैं। ये पक्ष पितरों को समर्पित होते हैं। ऐसी मान्यता है कि जो लोग पितृ पक्ष में पूर्वजों का तर्पण नहीं कराते, उन्हें पितृदोष लगता है। श्राद्ध के बाद ही पितृदोष से मुक्ति मिलती है। श्राद्ध से पितरों को शांति मिलती हैं। वे प्रसन्‍न रहते हैं और उनका आशीर्वाद परिवार को प्राप्‍त होता है।</p>
<p>हालांकि इस साल मोक्षदायिनी 'गया' की धरती पर पिंडदान नहीं किया जा सकेगा। कोरोना के बढ़ते मामलों के मद्देनजर बिहार सरकार ने ये फैसला लिया है। हालांकि आप सभी तरह के कर्मकांड व दान आदि अपने घर पर कर सकते हैं। पितृ पक्ष पितृ पक्ष का श्राद्ध सदैव मध्याह्न व्यापिनी तिथि को करना चाहिए यदि किसी परिस्थिति वश आप मध्यान्ह में नहीं कर सकते तो अपने पितरों से क्षमा मांग कर यदि अगले दिन वह तिथि उपलब्ध है तो प्रातः उस समय तक भी पितृ श्राद्ध कर सकते हैं।</p>
<p>इस साल पितृपक्ष 1 सितंबर से शुरू हो रहे हैं। अंतिम श्राद्ध यानी अमावस्या श्राद्ध 17 सितंबर को होगा। पहला श्राद्ध (पूर्णिमा श्राद्ध) -1 सितंबर 2020 सुबह 9:08 से 2 सितम्बर सुबह 10:21 मिनट तक, एकम श्राद्ध -2 सितंबर सुबह 10:22 मिनट के बाद 3 सितम्बर सुबह 11: 56 तक</p>
<p>दूज श्राद्ध -4 सितंबर<br />
तीज श्राद्ध -5 सितंबर<br />
चतुर्थी श्राद्ध- 06 सितंबर<br />
पंचमी श्राद्ध -07 सितंबर<br />
छठ श्राद्ध -08 सितंबर<br />
सप्तमी श्राद्ध -09 सितंबर<br />
अष्टमी श्राद्ध -10सितंबर<br />
नवमी श्राद्ध -11 सितंबर<br />
दसवीं श्राद्ध -12 सितंबर<br />
एकादशी श्राद्ध -13सितंबर<br />
द्वादशी श्राद्ध -14सितंबर<br />
त्रयोदशी श्राद्ध -15 सितंबर<br />
चतुर्दशी श्राद्ध -16 सितंबर<br />
सर्वपितृ श्राद्ध देव पितृ कार्य अमावस्या पितृ विसर्जन -17 सिंतबर।</p>
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