<h2 style=”margin-left:0px; margin-right:0px”><span style=”font-family:georgia,"times new roman",serif; font-size:large”>सोलन जिला के कुनिहार में भगवान भोलेनाथ की शिव तांडव गुफा सालों से श्रद्धा और भक्ति भाव का केंद्र बनी हुई है</span><span style=”font-family:georgia,"times new roman",serif; font-size:large”> शिव तांडव गुफा कुनिहार प्राचीनतम इतिहास है गुफा के अंदर गाय के थनों के आकार की चट्टानों से कभी शिवलिंग पर दूध गिरता था लेकिन बाद में पानी गिरना शुरू हो गया प्रकृति से हो रही छेड़छाड़ का परिणाम है कि अब चट्टानों से पानी गिरना बंद हो गया है।</span></h2>
<h2 style=”margin-left:0px; margin-right:0px”><span style=”font-family:georgia,"times new roman",serif; font-size:large”>मान्यता है कि यहां पर शिव भगवान ने कठिन तप किया था। </span><span style=”font-family:georgia,"times new roman",serif; font-size:large”>शिव का यह स्थल धार्मिक पर्यटन के रूप में विकसित हो रहा है यहां पर प्रदेश से ही नहीं बल्कि दूसरे राज्य से भी पर्यटक शिव परिवार के दर्शन के लिए आते हैं यहां पर शिवरात्रि व श्रावण मास के महीने में बहुत बड़ा मेला लगता है वह हर सोमवार को भोले बाबा के दर्शनों के लिए लोगों का तांता लगा रहता है इस गुफा के अंदर ही प्राचीन काल से शिवलिंग स्थापित है यहां शिव परिवार के साथ-साथ नंदी की शिला स्थापित है </span><span style=”color:#222222; font-family:georgia,"times new roman",serif; font-size:large”>बताया जाता है कि गुफा से एक रास्ता भी होता था लेकिन अब बंद हो गया है यह शिव गुफा पूर्व दिशा की ओर है।</span></h2>
<p><span style=”color:#c0392b”><strong><span style=”font-family:inherit; font-size:large”>गुफा का इतिहास</span> </strong></span></p>
<p><img src=”/media/gallery/images/image(3006).jpeg” style=”height:340px; width:670px” /></p>
<div dir=”ltr” style=”border:0px; font-stretch:inherit; font-variant-east-asian:inherit; font-variant-numeric:inherit; line-height:inherit; padding:0px; vertical-align:baseline”>
<div dir=”auto” style=”border:0px; font-variant-east-asian:inherit; font-variant-numeric:inherit; line-height:inherit; padding:0px; vertical-align:baseline”>भस्मासुर ने शिव आराधना करके जब शिव भगवान को प्रसन्न करके वरदान मांगा कि वह जिसके सिर पर हाथ रखेगा वह भस्म हो जाएगा। भाग्य की विडंबना का खेल देखिए भस्मासुर ने वरदान की परीक्षा भोले शंकर पर ही परखनी चाहि फिर क्या था भोले शंकर प्राणों की रक्षा के लिए हिमालय की कंदराओं में अपने आप को छुपाते फिरते जा रहे थे जहां भी वे जाते प्रतीक रूप में स्वयंभू शिव पिंडी छोड़ जाते। भोले शंकर ने इस शिव तांडव गुफा में भी प्राण रक्षा के लिए प्रवेश किया। </div>
<div dir=”auto” style=”border:0px; font-variant-east-asian:inherit; font-variant-numeric:inherit; line-height:inherit; padding:0px; vertical-align:baseline”> </div>
<div dir=”auto” style=”border:0px; font-variant-east-asian:inherit; font-variant-numeric:inherit; line-height:inherit; padding:0px; vertical-align:baseline”>संभवत इस गुफा के भीतर फनेसश्वर शेष नाग मग्न मुद्रा में फन फैलाए बैठे हैं। त्रिकालदर्शी शेषनाग ने भोलेनाथ को अपने विशाल काय फन के नीचे छुपा लिया। दूसरे क्षण भस्मासुर ने चिंघाड़ते हुए शिव ड्यार कुनिहार में प्रवेश किया और चारों और भोलेनाथ की खोज कि पर वह फन फैलाए शेषनाग के डर से उनके नीचे नहीं जा सका और झुंझलाकर उलटे पांव लौट गया। महादेव सुरक्षित हुए और गुफा में भोले शंकर प्रतीक अपनी पिंडी शेषनाग फन और नंदी बैल का समृति चिन्ह छोड़कर अदृश्य हो गए।</div>
</div>
<div dir=”ltr” style=”background-color:white; border:0px; color:#787c7f; font:inherit; padding:0px; vertical-align:baseline”> </div>
<div dir=”ltr” style=”border:0px; font-stretch:inherit; font-variant-east-asian:inherit; font-variant-numeric:inherit; line-height:inherit; padding:0px; vertical-align:baseline”>इसके प्रवेश द्वार पर शीला रूपी फन फैलाए शेष जी की आकृति अपने मस्तक के ऊपर समस्त गुफा का भार वहन किए हुए हैं। बताया जाता है कि पहले शिव गुफा के संकरण मार्ग का धोतक था इसमें प्रदेश के लिए पेट के बल सरक कर अथवा झुकते हुए रेंग कर जाना पड़ता था। <br />
</div>
<div dir=”ltr” style=”border:0px; font-stretch:inherit; font-variant-east-asian:inherit; font-variant-numeric:inherit; line-height:inherit; padding:0px; vertical-align:baseline”>गुफा में स्वयंभू तीन फुट ऊंचा शिवलिंग हैं उनके दाहिनी और पूजित मां पार्वती की प्रस्तर प्रतिमा, उनके ठीक सामने नंदी महाराज की आकृति इस भूभाग में एक और आश्चर्य वह है स्वयंभू शिवलिंग की पिंडी के ऊपर बने गाय के स्तन जनश्रुति के अनुसार सतयुग में इन स्थानों से पिंडी के ऊपर गाय के दूध की धारा टपकती थी। शिव गुफा से जुड़ी कई लोक गथाएं भी हैं।</div>
NDA Victory in Maharashtra: भारतीय जनता पार्टी की जिला उपाध्यक्ष उषा बिरला ने महाराष्ट्र में…
Shimla Prison Fight: शिमला के कैथू जेल में शनिवार को दो कैदियों के बीच कंबल…
Free health camp Sujanpur: प्रयास संस्था के माध्यम से पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं सांसद अनुराग…
Blog: Shivanshu Shukla Kangra Airport flight disruptions: देश विदेश के सैलानियों के लिए आकर्षण और…
DigiLocker issues for disabled: मंडी के बाबा भूतनाथ मंदिर परिसर में शनिवार को हिमालयन दिव्यांग…
Himachal Technical University convocation: हिमाचल प्रदेश तकनीकी विश्वविद्यालय, हमीरपुर का पांचवां दीक्षांत समारोह राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी…