हिमाचल प्रदेश धार्मिक स्थलों का गढ़ माना जाता है। वैसे तो पूरे भारत वर्ष में अनेकों शक्तिपीठ है जिनका विशेष महत्व है। पर हिमाचल में एक ऐसा भी मंदिर है जहां मां की प्रतिमा भक्तों की मनोकामना पूरी होने पर तुरंत संकेत देती है। जी हां, हम बात कर रहे है हिमाचल में स्थित भलेई माता मंदिर की, चलिए जानते है मंदिर का इतिहास और क्यों है ये इतना खास-
भलेई माता मंदिर की कहानी
हिमाचल के चंबा जिले से लगभग 45 किलोमीटर दूरी पर सैंकड़ो साल पुराना भलेई माता का मंदिर है। जिसे जागती ज्योत के नाम से भी जाना जाता है। पूरे साल यहां भक्त आते जाते रहते है। यदि मंदिर कि स्थापना के बारे में बात की जाए तो बताया जाता है कि भ्राण नामक स्थान पर एक बावड़ी में यह माता प्रकट हुई थीं। उस समय उन्होंने चंबा के राजा प्रताप सिंह को सपने में दर्शन देकर उन्हें चंबा में स्थापित करने का आदेश दिया था। राजा जब मां की प्रतिमा को लेकर जा रहे थे तो उन्हें भलेई का स्थान पसंद आ गया। इस पर माता ने राजा को सपने में वहीं भलेई में स्थापित करने को कहा।
राजा को दिया प्रतिमा स्थापित करने का निर्देश
सपने में मां द्वारा दी गई आज्ञा के अनुसार राजा ने मां की वहीं पर एक मंदिर बनवाकर देवी प्रतिमा को स्थापित करवा दिया। शुरु में कुछ समय महिलाओं को मंदिर में आने की मनाही थी पर समय के साथ-साथ यह परंपरा खत्म हो गई और वर्तमान में सभी लोग बिना किसी तरह के भेदभाव के मंदिर में दर्शन करते हैं। अपने दर्शनों के लिए आने भक्तों की मां इच्छा अवश्य पूरी करती है। नवरात्रों के अवसर पर यहां लाखों की संख्या में भक्त आते हैं।
ऐसे मां देती है मन्नत पूरी होने का संकेत
स्थानीय लोगो कि मान्यता है कि अगर मन्नत मांगते समय मां की मूर्ति पर पसीना आ जाए तो भक्तों की मनोकामना अवश्य पूरी होती है। ऐसे में भक्त यहीं पर बैठकर मां की मूर्ति पर पसीना आने का घंटों इंतजार किया करते हैं क्योंकि पसीने के समय जितने भक्त मौजूद होते हैं उन सबकी मुराद पूरी हो जाती है।