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कब है होली? जानें होलिका दहन का शुभ मुहूर्त

डेस्क |

होलिका दहन एक ऐसा पर्व है, जिसमें होलिका की अग्नि में आप अपनी सभी मुश्किलों को जला सकते हैं.  अपनी सारी नकारात्मक चीजों को समाप्त कर सकते हैं. होलिका दहन के साथ ही जीवन में खुशियां आनी शुरू हो जाती हैं. इस बार होलिका दहन 07 मार्च को होगा.

भारतीय नव संवत्सर यानी हिंदू नव वर्ष चैत्र शुक्ल प्रतिपदा की पहली तिथि को शुरू होता है. इसके आगमन से पहले पुराने संवत्सर को विदाई दी जाती है. पुराने संवत को समाप्त करने के लिए होलिका दहन किया जाता है. इसको कहीं-कहीं पर संवत जलाना भी कहते हैं.

होलिका दहन में किसी वृक्ष की शाखा को जमीन में गाड़कर उसे चारों तरफ से लकड़ी, कंडे, उपले से घेरकर निश्चित मुहूर्त में जलाया जाता है. इसमें छेद वाले गोबर के उपले, गेहूं की नई बालियां और उबटन जलाया जाता है. लकड़ी की राख को घर में लाकर उससे तिलक करने की परंपरा भी है.

इस दिन मन की तमाम समस्याओं का निवारण हो सकता है. रोग, बीमारी और विरोधियों की समस्या से छुटकारा मिल सकता है. आर्थिक बाधाओं से राहत मिल सकती है. ईश्वर की कृपा पाना चाहते हैं तो इस दिन आसानी से प्राप्त कर सकते हैं. अलग-अलग चीजों को अग्नि में डालकर अपनी बाधाओं से मुक्ति पा सकते हैं.

होलिका दहन शुरू हो जाने पर वहां जाएं. अग्नि को प्रणाम करें, भूमि पर जल डालें. इसके बाद अग्नि में गेहूं की बालियां, गोबर के उपले और काले तिल के दाने डालें. फिर अग्नि की परिक्रमा कम से कम तीन बार करें. इसके बाद अग्नि को प्रणाम करके अपनी मनोकामनाएं कहें. उसके बाद होलिका की अग्नि की राख से स्वयं का और घर के लोगों का तिलक जरूर करें.

होलिका में क्या अर्पित करें

होलिका में अच्छे स्वास्थ्य के लिए होलिका की अग्नि में काले तिल के दाने डालें. वहीं बीमारी से मुक्ति के लिए होलिका की अग्नि में में हरी इलायची और कपूर डालें. धन लाभ के लिए अग्नि में चंदन की लकड़ी डालें. रोजगार के लिए होलिका की अग्नि में पीली सरसों डालें. विवाह और और वैवाहिक समस्याओं के लिए होलिका की अग्नि में हवन सामग्री डालें. नकारात्मक ऊर्जा से मुक्ति के लिए होलिका की अग्नि में काली सरसों डालें.

इस बार होलिका दहन 07 मार्च को होगा और 8 मार्च को होली खेली जाएगी. पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 06 मार्च को शाम 04 बजकर 17 मिनट पर होगी और इसका समापन 07 मार्च को शाम 06 बजकर 09 मिनट पर होगी. होलिका दहन का शुभ मुहूर्त 07 मार्च, मंगलवार को शाम 06 बजकर 24 मिनट से रात 08 बजकर 51 मिनट तक रहेगा. भद्रा काल का समय 06 मार्च को शाम 04 बजकर 48 मिनट पर शुरू होगा और 07 मार्च को सुबह 05 बजकर 14 मिनट पर समाप्त होगा.