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कब है मार्गशीर्ष अमावस्या, जानें तिथि और शुभ मुहूर्त

डेस्क |

मार्गशीर्ष महीने के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को मार्गशीर्ष अमावस्या कहा जाता है. इसे अगहन अमावस्या और पितृ अमावस्या भी कहा जाता है. मार्गशीर्ष मास भक्ति और समर्पण से भरा होता है. इस मास में भगवान श्रीकृष्ण का विशेष महत्व होता है. इस मास में भगवान श्रीकृष्ण का विशेष महत्व होता है.
भगवद्गीता में भगवान श्रीकृष्ण स्वयं कहते हैं कि वे समस्त मासों में मार्गशीर्ष मास हैं. सतयुग में देवता मार्गशीर्ष मास के प्रथम दिन को वर्ष का प्रारंभ मानते थे. इस महीने में नदियों में स्नान करना चाहिए और तुलसी और तुलसी के पौधे की जड़ों का उपयोग करना चाहिए. इस पूरे माह में भजन, कीर्तन आदि में भक्तों को शामिल देखा जा सकता है. माना जाता है कि इस महीने की अमावस्या में पितृ पूजा करने से पूर्वजों की आत्मा को शांति और मोक्ष की प्राप्ति होती है.
जो लोग श्राद्ध करने में सक्षम नहीं थे. वे इस महीने की अमावस्या को मृत पूर्वजों की मुक्ति के लिए तर्पण कर सकते हैं. प्राचीन शास्त्रों के अनुसार, सर्वशक्तिमान ईश्वर के समक्ष मृत पूर्वजों को प्रसन्न करना बहुत महत्वपूर्ण है. जिन लोगों की कुण्डली में पितृ दोष हो, संतान सुख की कमी हो या राहु नवम भाव में नीच का हो उन्हें इस अमावस्या का व्रत अवश्य करना चाहिए.
इस व्रत को करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है. विष्णु पुराण के अनुसार इस व्रत को करने से ब्रह्मा, इंद्र, रुद्र, अश्विनी कुमार, सूर्य, अग्नि, पक्षी, पशु और दुष्टों सहित सभी देवी-देवता इस व्रत को करने से मृत पूर्वजों को प्रसन्न किया जा सकता है.
हिंदू पंचांग के मुताबिक, इस साल मार्गशीर्ष महीने के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि 23 नवंबर दिन बुधवार दिन को मनाई जाएगी. मार्गशीर्ष अमावस्या 23 नवंबर को सुबह 06 बजकर 53 मिनट से प्रांरभ होगी और 24 नवंबर को सुबह 04 बजकर 26 मिनट पर इसका समापन होगा.
वहीं, मार्गशीर्ष अमावस्या का शुभ अभिजीत मुहूर्त शाम 05 बजकर 22 मिनट से लेकर शाम 05 बजकर 49 मिनट तक है और अमृत काल मुहूर्त दोपहर 1 बजकर 24 मिनट से लेकर दोपहर 02 बजकर 54 मिनट तक, सर्वार्थ सिद्ध योग रात 09 बजकर 37 मिनट से लेकर 24 नवंबर को सुबह 06 बजकर 51 मिनट तक है.