साल में कुल 24 एकादशी आती हैं और प्रत्येक एकादशी का अपना अलग महत्व होता है. फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को विजया एकादशी कहते हैं.
इस साल विजया एकादशी 16 फरवरी दिन गुरुवार को मनाई जाएगी. ऐसा कहते हैं कि किसी भी नए कार्य की शुरुआत के लिए विजया एकादशी का दिन बहुत ही शुभ होता है. इस दिन शुरू किया गया कोई भी कार्य भगवान विष्णु की कृपा से पूर्णत: संपन्न होता है. इस साल विजया एकदशी पर तीन बड़े ही शुभ योग बन रहे हैं.
विजया एकादशी का व्रत फाल्गुन कृष्ण एकादशी को रखा जाता है. फाल्गुन कृष्ण एकादशी तिथि 16 फरवरी को सुबह 05 बजकर 32 मिनट से प्रारंभ होगी और 17 फरवरी को रात 02 बजकर 49 मिनट पर इसका समापन होगा. उदया तिथि के चलते विजया एकादशी का व्रत 16 फरवरी को रखा जाएगा.
पूजा मुहूर्त
अभिजीत मुहूर्त- दोपहर 12 बजकर 13 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 58 मिनट तक
विजय मुहूर्त- दोपहर 02 बजकर 27 मिनट से लेकर दोपहर 03 बजकर 12 मिनट तक
गोधूलि मुहूर्त- शाम 06 बजकर 09 मिनट से लेकर शाम 06 बजकर 35 मिनट तक
विजय एकादशी व्रत के साथ दान का महत्व भी जुड़ा है. इस एकादशी का व्रत करने से स्वर्ण दान, भूमि दान, अन्नदान और गौदान से अधिक पुन्य फलों की प्राप्ति होती है. जीवन में दान का प्रभाव ऐसा है कि इससे अक्षय पुण्य प्राप्त होता है. ज्योतिषी कहते हैं कि दान करते वक्त अगर कुछ बातों का ध्यान रखा जाए तो ये बेहद लाभकारी होता है. इसलिए विजया एकादशी पर दान करते वक्त कुछ विशेष सावधानियां जरूर बरतनी चाहिए.
दान कभी भी किसी दबाव में नहीं देना चाहिए. दान कभी भी ऐसे व्यक्ति को नहीं देना चाहिए जो कुपात्र हो. जो भी वस्तुएं दान में दी जाएं वो उत्तम कोटि की हों कुंडली में जो ग्रह महत्वपूर्ण हों, उनका दान कभी ना करें. दान में मांस, मदिरा आदि वस्तुएं बिल्कुल न दें, क्योंकि ये वस्तुएं लाभ की जगह हानि पहुंचा सकती हैं.
दान देते समय मन में हमेशा ये भाव रखें कि ये वस्तु ईश्वर की दी हुई हैं और ये सेवा या दान मैं ईश्वर को ही कर रहा हूं. यदि आप इन बातों को ध्यान में रखकर दान करेंगे तो आपको धन, वैभव और संपन्नता का वरदान मिलेगा. ये उपाय छोटे हैं, लेकिन बेहद कारगर हैं.