विश्वकर्मा जंयती साल में 2 बार मनाई जाती है. विश्वकर्मा पूजा को ही विश्वकर्मा दिवस और विश्वकर्मा जंयती के रूप में मनाया जाता है. हिंदुओं के लिए यह दिन बहुत खास होता है. क्योंकि इस दिन लोग अपने कारखानों और गाड़ियों की पूजा करते है. विश्वकर्मा जयंती 17 सितंबर के दिन कन्या संक्रांति के दिन मनाई जाती है.
आपकों बता दें कि ऐसी मान्यता है कि इस दिन भगवान विश्वकर्मा ने सृष्टि के रचयिता ब्रह्मा जी के सांतवे पुत्र के रूप में जन्म लिया था. भगवान विश्वकर्मा का जिक्र 12 आदित्यों और ऋग्वेद में होता है. इस बार विश्वकर्मा जंयती 17 सितंबर, शनिवार के दिन मनाई जाएगी.
भगवान विश्वकर्मा की पूजा इसलिए की जाती है. क्योंकि उन्हें विश्व का पहला इंजीनियर माना गया है. मान्यता है कि हर साल अगर आप घर में रखें हुए लोहे और मशीन की पूजा करते हैं तो वो जल्दी खराब नहीं होते हैं साथ ही साथ कारोबार में विस्तार होता है.
मशीनें अच्छी चलती है क्योंकि भगवान उन पर अपनी कृपा बनाकर रखते हैं. भारत के कई हिस्सों में विश्वकर्मा दिवस बड़ी धूम-धाम से मनाया जाता है.
विश्वकर्मा दिवस के दिन जल्दी स्नान करके पूजा स्थल साफ करें. फिर गंगा जल छिड़क कर पूजा स्थान को पवित्र करें. एक साफ चौकी लेकर उस पर पीले रंग का कपड़ा बिछाएं. पीले कपड़े पर लाल रंग के कुमकुम से स्वास्तिक का चिन्ह बनाएं.
भगवान गणेश का ध्यान करते हुए इन्हें प्रणाम करें. इसके बाद उनके सामने चावल और फूल अर्पित करें. फिर उस चौकी पर भगवान विष्णु और भगवान विश्वकर्मा की प्रतिमा लगाएं.
एक दीपक जला कर उस चौकी पर रख दें. उसके बाद भगवान विश्वकर्मा के मंत्रों का जाप करें, फिर श्रद्धाभाव से भगवान विष्णु की आरती करें. उन्हें फल- मिठाई का भोग लगाएं, इस भोग को सभी लोगों में बांटें.
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