सीनियर ऑफ स्पिनर हरभजन सिंह ने सुझाव दिया कि महेंद्र सिंह धोनी की करारे शॉट मारने की कला अब भी बरकरार है। भारतीय टीम प्रबंधन को वर्ल्ड कप के दौरान उन्हें शुरू से ही आक्रमण करने के लिए जरूर उतारना चाहिए। पर ऐसा देखा जा रहा है कि 37 साल के धोनी अब आक्रामक रुख अख्तियार करने से पहले क्रीज पर काफी समय बिता रहे हैं, लेकिन एक समय राष्ट्रीय टीम और मौजूदा चेन्नई सुपर किंग्स के साथी हरभजन चाहते हैं कि वह शुरू से ही आक्रामक रहें।
हरभजन ने बताया कि ‘मुझे लगता है कि वह अपना सर्वश्रेष्ठ तभी करते हैं, जब वह शुरू से ही हिट करते हैं। उनकी कुछ सर्वश्रेष्ठ पारियां तब बनी हैं, जब उन्होंने शुरू से ही आक्रामक रुख किया है। मुझे लगता है कि टीम प्रबंधन को उन्हें और हार्दिक पंड्या को उनके मन मुताबिक बल्लेबाजी करने की छूट देनी चाहिए। कोई पांबदी नहीं।’
हरभजन का मानना है शीर्ष क्रम बल्लेबाज शिखर धवन, रोहित शर्मा, विराट कोहली और केएल राहुल अच्छी पारियां खेल सकते हैं इसलिए धोनी आक्रामक खेलने के लिए आजाद हैं।
लेकिन यह पूछने पर कि जब मध्य ओवरों में मिशेल सैंटनर या नाथन लियोन जैसे स्पिनर गेंदबाजी करेंगे, तो उन्होंने कहा, ‘मैं यही कहना चाहता हूं। धोनी किसी भी स्पिनर की दूसरी गेंद पर छक्का जड़ देते हैं। उन्हें ऐसा करना चाहिए और वह ऐसा कर भी सकते हैं क्योंकि मैंने चेन्नई सुपर किंग्स के नेट्स में उन्हें देखा है।
हरभजन चाहते हैं कि धोनी की वही धाकड़ मौजूदगी बरकरार रहे जैसे कि उनकी और वीरेंद्र सहवाग की अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में उनके सर्वश्रेष्ठ वर्षों के दौरान रहती थी।
भारत के महान स्पिनरों में से एक हरभजन सिंह ने कहा, ‘मैं आपको बता सकता हूं कि एक गेंदबाज का दिमाग कैसे काम कर रहा है। मान लीजिए अगर मैं केविन पीटरसन और इयान बेल को गेंदबाजी कर रहा हूं तो मैं बेल की तुलना में पीटरसन के बारे में ज्यादा चिंतित रहूंगा। मैं केपी को दो डॉट गेंद फेक सकता हूं, लेकिन उनमें ऐसी काबिलियत है कि वह मेरी गेंदों पर शॉट जड़ दें। जबकि बेल एक-एक रन के लिए खेलेंगे। धोनी भी केपी की तरह गेंदबाजों को भयभीत कर देते हैं। उनका दबदबा ऐसा ही है।
30 मई से इंग्लैंड और वेल्स में शुरू हो रहे 12वें वर्ल्ड कप संस्करण में टीम इंडिया अपना पहला मैच 5 जून को साउथ अफ्रीका के खिलाफ साउथेम्प्टन में खेलेगी। इससे पहले भारतीय टीम को न्यूजीलैंड और बांग्लादेश के साथ एक-एक वॉर्म-अप मैच खेलना है।