यूक्रेन और रशिया के बीच चल रहे वॉर के बीच भारतीयों को निकालने का सिलसिला जारी है। लेकिन भारतीय छात्र और लोग अपने साथ अपने पेट्स को लाने की डिमांड भी लगातार कर रहे हैं। हालांकि ऐसे वक़्त में कई लोग इसे फंसे छात्रों की बेवकूफी बता रहे हैं लेकिन कई लोग इन्हें एनिमल लवर का नाम दे रहे हैं।
इसी कड़ी में से एक हैं भारतीय डॉक्टर गिरिकुमार पाटिल। वह अपने पालतू पैंथर और जगुआर के बिना यूक्रेन छोड़ने के लिए राजी नहीं हैं। जानवरों से प्रेम के लिए गिरिकुमार को यहां जगुआर कुमार के नाम से भी जाना जाता है। उनके पास एक जगुआर और एक पैंथर है। पाटिल का कहना है कि उन्होंने इस संबंध में भारतीय दूतावास से भी संपर्क किया था, लेकिन उन्हें कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला। उन्होंने कहा कि मेरा इलाका रूसी सैनिकों से घिरा हुआ है और में हरसंभव कोशिश कर रहा हूं। मैं इन्हें अपने बच्चों की तरह प्यार करता हूं।
इससे पहले ऐसा ही एक वाक्या हम आपसे साझा कर रहे हैं। 21 वर्षीय अखिल राधाकृष्णन हंगरी के रास्ते भारत लौटे हैं। वे इस बात से खुश हैं कि दूतावास उन्हें अपनी बिल्ली अम्मिनी को साथ ले जाने की अनुमति दे दी। अखिल राधाकृष्णन ने अपनी बिल्ली के बारे में बताया कि हम एक-दूसरे के साथ ही रहते हैं। मैंने उसे लगभग 4 महीने पहले एक सीनियर से लिया था।
ग़ौरतलब है कि यूक्रेन से भारत आने वाले छात्रों के साथ पालतू कुत्ते और बिल्लियां भी आ रही हैं। भारतीय नागरिकों के साथ-साथ इन विदेशी जानवरों को भी देश में लाने के लिए सरकार ने विशेष दिशा-निर्देश जारी किए हैं। इसके तहत कुत्ते, बिल्ली को लेकर मालिकाना हक साबित करना होगा। साथ ही इनके सभी तरह के टीकाकरण और स्वास्थ्य से जुड़ी जानकारियां भी प्रमाणित करने बाद ही दूसरे देश में जाने की इजाजत दी जा सकती है।
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