जन्माष्टमी का दिन कान्हा के जन्म का दिन है। इस रात कान्हा के भक्त उनके आने का जश्न मनाते हैं। यही वो समय होता है जब उन्हें खुश किया जा सके। कृष्ण का नाम आते ही उनके मुकुट में लगे मोर पंख की छवि भी आंखों से सामने आ जाती है। जो 9 ग्रहों को दर्शाता है। यदि इस दिन रात को अगर आप एक छोटा उपाय करेंगे तो यहीं मोर पंख आपकी सारी परेशानियों को जड़ से खत्म कर देगा।
ये मोर पंख साक्षात ठाकुर जी का प्रसाद है अगर आपको सम्पत्ति से संबंधित कोई समस्या, अटका काम, धन और यश की हानि हो रही है तो जन्माष्टमी की रात को राधारानी के मंदिर में जाकर भगवान कृष्ण के मुकुट पर मोर पंख की स्थापना करवाएं और उनकी प्रतिमा की पूजा करें। 40वें दिन बाद उस मोर पंख को अपने घर की तिजोरी में रख दें। फिर देखिए चमत्कार, कैसे आपकी तिजोरी भरनी शुरू हो जाएगी।
आपको हर समय शत्रु का अहसास हो रहा है, या कोई शत्रु आपको नुकसान पहुंचा रहा है तो जन्माष्टमी की रात को मोर पंख पर अपने शत्रु का नाम लिख दें और ठाकुर जी के मंदिर में रातभर रख दें। सुबह उठकर बिना नहाएं और बिना किसी से बात किए उस पंख को बहते पानी में बहा दें। अगर पानी में न बहा सके तो किसी पेड़ के नीचे दबा दें। ऐसा करने से आपका शत्रु मित्र बन जाएगा। जो हर कदम पर आपकी मदद करने को तैयार रहेगा।
कुंडली में चाहे काल सर्प दोष हो या फिर कोई दूसरे तरह के दोष हो। मोर पंख इन सारे दोषों को दूर कर देता है। कुंडली के दोषों को दूर करने के लिए जन्माष्टमी वाली रात अपने तकिए के नीचे सात मोर पंख रख लें।