हिमाचल के सेब बागवान सरकार के खिलाफ बड़े आंदोलन की तैयारी में जुट गए हैं. प्रदेश सेब उत्पादक संघ अन्य किसान संगठनों को संगठित करके सरकार के खिलाफ आंदोलन की रणनीती तैयार करने में जुट गया है.
इसी कड़ी में आज शिमला में हिमाचल, कश्मीर, केरल के पूर्व विधायको व विशेषज्ञों ने सेब बागवानी की चुनौतियों पर विचार सांझा किए और भविष्य में बागवानी बचाने के लिए आन्दोलन की रणनीती तैयार की.
शिमला के रोटरी टाउन हॉल में सेब उत्पादको ने सेब बागवानी को आगे ले जाने के लिए मंत्रणा की. ठियोग से सीपीआईएम विधायक व बागवान नेता राकेश सिंघा ने कहा कि जम्मू कश्मीर सबसे बड़ा सेब उत्पादक हैं. प्रदेश में बागवानी को आगे बढ़ाने के लिए जो शोध व कार्य किए जाने चाहिए थे. वह नहीं हो पाये हैं.
सरकार बागवानो को उनकी दशा पर छोड़ देती हैं. सरकार ने बागवानो के सामने आ रही चुनौतियों का आंकलन आज तक नहीं किया. लेखकों और वैज्ञानिको ने इस पर शोध व लेख लिखें हैं जिसके माध्यम से सेब की खेती में आ रही है. चुनौतीयों को समझने की कोशिश की हैं. भविष्य में किसान संगठनों को साथ लेकर एक बड़ा आंदोलन खड़ा किया जाएगा.
वहीं, कश्मीर से आए पुर्व विधायक रहें मोहम्मद यूसुफ बताते हैं कि सेब उत्पादक राज्यों के सामने आज कई बड़ी चुनौतियां है. सरकार बागवानो की मांगों को अनदेखा कर रही है. बागवान लागत से भी कम कमा पाता हैं.
स्वामीनाथन कमेटी की सिफारिशों के अनुसार ही बागवानो को मुआवजा दिया जाना चाहिए. किसान कर्ज के बोझ में दबे है. एक तरफ सरकारी पैसा ना होने के बात कहती है. दूसरी तरफ पूंजीपतियों के लाखों करोड़ कर्ज माफ किए गए हैं. सेब उत्पादक राज्यों को आज एकजुट होकर हक के लिए आवाज उठाने की जरूरत हैं.