अफगानिस्तान पर तालिबानी कब्जे के बाद हो रहे शंघाई सहयोग संगठन SCO की बैठक को वर्चुअली संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कट्टरता को दुनिया के लिए एक बड़ी चुनौती बताया है। बीसवीं वर्षगांठ पर SCO की बैठक ताजिकिस्तान की राजधानी दुशाम्बे में हो रही है।
पूरी दुनिया की नजर इस बैठक पर रहेगी क्योंकि SCO के अधिकतर देश अफगानिस्तान की सीमा से लगते हैं या फिर उसके पड़ोस में है। अधिकतर देशों को डर है कि तालिबान से शुरू हुई कट्टरता उनके देशों में भी अस्थिरता पैदा कर सकती है। इसी कारण SCO की ये बैठक और भी महत्वपूर्ण हो जाती है।
प्रधानमंत्री ने अपने सम्बोधन में SCO के नए सदस्यों का भी सवागत किया। “मैं ईरान का स्वागत करता हूं। इजिप्ट और कतर का भी स्वागत करता हूं। एक्सीलेंसी SCO की बीसवीं वर्षगांठ के बारे में सोचने का भी ये उपयुक्त अवसर है,” उन्होंने ने कहा।
विदेश मंत्री दुशाम्बे में मौजूद
SCO की बैठक में शामिल होने के लिए विदेश मंत्री एस जयशंकर पहले ही दुशांबे पहुंच चुके थे। SCO के सदस्य देशों की ये 21वीं बैठक है जिसकी अध्यक्षता ताजिकिस्तान के राष्ट्रपति इमोमाली रहमान कर रहे हैं। 15 जून 2001 को इस संगठन की स्थापना हुई थी और 2017 में भारत इसका पूर्णकालिक सदस्य बना था।
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