भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की वित्त वर्ष 2019-20 की रिपोर्ट में प्रकट हुआ है कि कर्ज लेकर शुरु की गई विकास परियोजनाओं में से 96 पर प्रदेश सरकार ने एक रुपया भी खर्च नहीं किया है। विधानसभा के शीत सत्र के आखरी दिन रखी गई इस रिपोर्ट में ये भी साफ होता है कि सभी योजनाएं एक करोड़ के अधिक के बजट की थी और तो इन पर खर्च न करने का उल्लेख तक नहीं किया गया है।
रिपोर्ट में बताया गया है कि जल शक्ति विभाग ने ब्रिक्स बैंक से ग्रामीण जलापूर्ति और स्वच्छता योजना के लिए ₹100.07 करोड़ लिये। PWD विभाग में सड़कों के रखरखाव के लिए ₹69.29 करोड़, हॉर्टिकल्चर विभाग की परियोजना के अंतर्गत ₹78.97 करोड़, विश्व बैंक राज्य सड़क के लिए ₹75 करोड़, पंचायती राज निदेशालय के लिए वित्तायोग के तहत ग्राम पंचायतों को अनुदान के लिए ₹59.72 करोड़ और ऊर्जा निदेशालय में प्रदेश विद्युत निगम को ₹62 करोड़ दिये गए थे। पर इस बजट को खर्च नहीं किया गया। 96 में से अन्य कई योजनाओं का भी यही हाल है।
2019-20 में करकार पर 62,234 करोड़ कर्ज
वहीं कैग रिपोर्ट ने ये भी कहा है कि 2019-20 में सरकार के कर्ज और इस पर लगने वाले ब्याज के भुगतान की रकम 62,234 करोड़ होगी। इसमें 40,572 करोड़ मूल और 21,662 करोड़ ब्याज राशि शामिल है। सरकार को 2024-25 तक 6207 करोड़ हर साल प्रदेश को कर्ज के रुप में देने होंगे।
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