एक तरफ प्रदेश सरकार स्वास्थ्य के क्षेत्र में लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुबिधाएं देने का राग आलाप रही है वहीँ दूसरी और प्रदेश में ऐसे अस्पताल भी हैं जिन्हें कहने को तो नागरिक चिकित्सालय का दर्जा दे दिया गया लेकिन धरातल पर स्थिति कुछ और ही है l लोगों को गंभीर परिस्थितियों में स्वास्थ्य सुधार के लिए लगभग 50 किलोमीटर दूर सुंदरनगर या नेरचौक का रुख करना पड़ता है l
Nh 13 पर जिला मंडी के सबसे बड़े ब्लॉक में रोहांडा के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के आलीशान भवन को देखकर ऐसा लगता है कि इससे बेहतर अस्पताल शायद ही कोई और हो लेकिन अंदर प्रवेश करने पर दूर के ढोल सुहावने वाली बात साबित होती है । डॉक्टर के छ पद होने के बावजूद एक भी डॉक्टर यहां उपलब्ध नहीं है हालांकि 37 से 38 पंचायतों के स्वस्थ की जिम्मेदारी इस अस्पताल पर है लेकिन सरकार के ढुलमुल रवैये के कारण जनता की परेशानी बढ़ गई है.
स्वस्थ समस्या होने पर लोग मेडिकल स्टोर से दवाई ले रहे हैं बीमारी का पता नहीं होने के कारण उनके स्वस्थ में सुधार होने के बजाय स्वस्थ बिगड़ रहा है कई बार तो उनकी जान पर भी बन आती है पंचायत प्रतिनिधि , विधायक तक ने जनता की परेशानी को नहीं समझा। देव कमरूनाग का स्थान ( मंदिर ) होने के कारण देश से ही नही प्रदेश से भी 12 महीने लोग यहां आते रहते हैं लेकिन किसी अप्रिय घटना होने पर किसी प्रकार की सुविधा की इस अस्पताल से उम्मीद रखना ना समझी होगी ।
गांव के लोगों का गरीब होना उन्हें स्वास्थ्य संबंधित समस्या होने पर तथा समय पर उपचार नहीं मिलने पर दम तोड़ने को मजबूर हैं क्योंकि इलाज करवाने के लिए सुंदरनगर जाने के लिए पैसे तक नहीं हैं ।जनता ने जनप्रतिनिधि से विकास के कयास लगाए थे मगर आमजन को निराशा ही मिली है मानो उनके कंधे या तो थक चुके हैं या समाज कल्याण के कार्यों में उनकी रूचि नहीं रही l
लोगों का कहना है कि जल्द अस्पताल में डॉक्टर की नियुक्ति नहीं हुई तो मजबूरन उन्हें चक्का जाम करने जैसे कदम उठाना पड़ेगा जिसकी जिम्मेदारी सरकार की होगी ऐसी ही स्थिति 2002 में भी उत्पन्न हुई थी तब भी लोगों को चक्का जाम करने जैसा कदम उठाना पड़ा था ।
स्थानीय निवासी गुलजारी लाल का कहना है कि अस्पताल के लिए जमीन उनके बुजुर्गों ने दी है लेकिन अस्पताल में एक भी डॉक्टर नहीं है किसी प्रकार के दुर्घटना होने पर 40 से 45 किलोमीटर दूर सुंदर नगर जाना पड़ता है ।
स्थानीय निवासी जितेंद्र ठाकुर का कहना है कि छ पद होने के बावजूद एक भी डॉक्टर में नहीं है । Nh 13 पर कई दुर्घटनाएं होती रहती हैं अस्पताल में डॉ न होने पर सुंदरनगर या नेरचौक पहुंचते-पहुंचते बहुत देर हो जाती है । करसोग , नाचन व सुंदरनगर विधानसभा क्षेत्र की पंचायतें इस अस्पताल से लाभांवित होती हैं ।
स्थानीय निवासी व महिला मंडल प्रधान विमला ठाकुर का कहना है कि सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में डॉक्टर न होने के कारण लोगों को बुखार इत्यादि होने पर भी 40 किलोमीटर दूर जाना पड़ता है उन्होंने सरकार से अस्पताल में जल्दी डॉक्टर नियुक्त करने की प्राथना की है ।
रोहांडा निवासी देवी राम शर्मा का कहना है कि पिछले 40 , 50 सालों में ऐसी समस्या पहले कभी नहीं हुई लेकिन सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बनने पर डॉक्टर की कमी है कम से कम दो डॉक्टर तो इस अस्पताल में हों ताकि मरीजों को सुविधा हो सके। स्थानीय निवासी जितेंद्र कुमार का कहना है कि अस्पताल में पर्ची तक नहीं बनाई जाती मरीजों को समस्या का सामना करना पड़ता है ।
हमारे प्रतिनिधि ने भी जब दो दिनों तक का अस्पताल का दौरा किया तो कोई भी डॉक्टर उपलब्ध नहीं था अस्पताल में मरीज तो आ रहे थे लेकिन उनकी पर्ची तक नहीं बनाई जा रही थी लेकिन नर्स द्वारा बुखार इत्यादि की दवाई दी जा रही थी ।
बीएमओ अभिनाश पंवर का कहना है कि मामला उचाधिकारियों के ध्यानार्थ है जल्द ही सरकार के माध्यम से नियुक्ति की जाएगी मौजूदा समय में काम चलाने के लिए अन्य अस्पताल से डॉ डीपिउट किया गया है l
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