प्रदेश हिमाचल में जैसे-जैसे सेब का सीजन आगे बढ़ रहा है सेब पर सियासत गरमाने लगी है. सेब के पैकिंग मेट्रियल को लेकर सरकार, विपक्ष व आम जनता के निशाने पर है. आनन-फानन में सरकार ने बागवानों को राहत देने के लिए कई कदम उठाए है. चुनावी वर्ष में केंद्र सरकार द्वारा 6 फीसदी जीएसटी बढ़ाया जाना सरकार के गले की फांस बन गया. क्योंकि इससे सेब का पैकिंग मेट्रियल मेहंगा हो गया. हिमाचल सरकार ने बागवानों को राहत देते हुए GST को खुद वहन करने का निर्णय लिया है और तीन कंपनियों के माध्यम से कार्टन व ट्रे खरीद पर 6 फ़ीसदी GST छूट देने की बात कही है. लेकिन यह भी बागवानों व सियासतदानों के गले नहीं उतर रही है.
कांग्रेस पार्टी अध्यक्ष प्रतिभा सिंह ने जय राम सरकार पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया की सेब हिमाचल की आर्थिकी में अहम भूमिका निभाता है. बाबजूद इसके सरकार बागवानों के हितों की अनदेखी कर रही है. सेब के पैकिंग मेट्रियल को मेहंगा कर दिया गया है. बागवानी क्षेत्र में GST लगाना तर्कसंगत नही है. हिमाचल सरकार ने 6 फ़ीसदी GST अधिक्रित् कंपनियों के माध्यम से माफ़ करने का निर्णय लिया है इससे सभी बागवानों को लाभ नही मिलेगा. सेब सीज़न शुरू हो चुका है और सरकार प्रयोग कर रही है.
मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने भी माना की सेब के पैकिंग मेट्रियल के दामों में इजाफा हुआ हुआ है. फिर चाहे बात सेब के कार्टन की हो या फ़िर ट्रे की, सरकार ने इसको देखते हुए 12 से 18 फ़ीसदी बढ़ी हुई जीएसटी को 6 फ़ीसदी कम कर दिया है. सरकार बढ़ी हुई 6 फीसदी जीएसटी को खुद वहन करेगी. हालांकि GST बढ़ाने में हिमाचल प्रदेश का कोई रोल नहीं है बावजूद इसके बागवानों को राहत देने के लिए सरकार ने यह रास्ता अख्तियार किया है. जय राम ठाकुर ने कहा कि बागवानों को अब बारदाना 12 प्रतिशत जीएसटी की पुरानी दर पर ही उपलब्ध करवाया जाएगा, इस सम्बंध में एचपीएमसी औऱ हिमफैड को निर्देश जारी कर दिए गए हैं. उन्होंने कहा कि तीन निजी कम्पनियां विभाग से सम्बद्ध है.
हिमाचल प्रदेश में 5 हज़ार करोड़ की आर्थिकी माने जाने वाला सेब सीजन इस बार 15 दिन पहले ही शुरू हो गया है. चालू सीजन में 7 लाख मीट्रिक टन सेब पैदावार होने का अनुमान लगाया गया है. वैसे तो हर साल सेब पर सियासत होती है लेकिन इस मर्तबा क्योंकि चुनावी वर्ष है इसलिए सेब के मुद्दे को भुनाने की पुरी कोशिश की जायेगी.