यूरोप में कोविड-19 संक्रमण के फिर से फैलने की रफ्तार तेज होती जा रही है। कई देशों में इसकी गति काफी तेज है। विशेषज्ञों के मुताबिक 13 देशों में तो नए संक्रमण के मामले उसके पहले के दो हफ्तों की तुलना में दो गुना हो गए। जिन देशों में महामारी की नई लहर सबसे गंभीर रूप लेती दिख रही है, उनमें आधे ऐसे हैं, जहां टीकाकरण की दर महाद्वीप के आम औसत से कम है।
यूरोप के सबसे बड़े दस में से 6 देशों में स्थिति गंभीर होती नजर आ रही है। पूर्वी यूरोप के देशों में हालत ज्यादा खराब हैं। मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक पूर्वी यूरोप के कई देशों में टीकाकरण की रफ्तार धीमी रही है। जबकि पश्चिम यूरोप में मोटे तौर पर टीकाकरण की दर संतोषजनक है। पुर्तगाल, स्पेन, आइसलैंड, फ्रांस और आयरलैंड ऐसे देश हैं, जहां 70 फीसदी से अधिक आबादी को कोरोना वैक्सीन का एक से कम एक डोज लग चुका है। लेकिन बुल्गारिया, यूक्रेन और बेलारुस में अभी 30 फीसदी लोग भी ऐसे नहीं हैं, जिन्हें टीके का एक डोज लगा हो।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने कहा है कि फिलहाल यूरोप कोरोना का एपिसेंटर बना हुआ है। यूरोप और मध्य एशिया के 53 देश में ट्रांसमिशन रेट गंभीर चिंता का विषय है।
भारत में फेस्टिवल सीजन में लोगों की बढ़ती लापरवाही कोरोना की रफ्तार को बढ़ा सकती है। दिवाली की वजह से लाखों लोगों ने एक जगह से दूसरी जगह ट्रैवल किया है। 4 नवंबर को 5.19 लाख लोगों ने फ्लाइट के जरिए यात्रा की है। इनमें से 70 हजार लोग इंटरनेशनल ट्रेवलर्स हैं। इसी तरह लाखों लोगों ने ट्रेन के जरिए भी यात्रा की है।
अगर लोग इसी तरह लापरवाही बढ़ती रही, तो केसेस बढ़ सकते हैं। अभी तक ये देखने में आया है कि किसी भी पब्लिक इवेंट के बाद केसेस बढ़े हैं। अगले 3 महीने तक हमें सतर्कता बरतने की जरूरत है। अगर लापरवाही बरती तो केसेस बढ़ सकते हैं, भले ही उनकी रफ्तार यूरोप में बढ़ रहे केसेस जितनी न हो। साथ ही हमें ये भी समझना होगा कि वैक्सीन कभी भी कोरोना से बचने की गारंटी नहीं है। आप वैक्सीन के दोनों डोज लेने के बाद भी बेफिक्र नहीं हो सकते। वैक्सीन के साथ ही आपको कोविड प्रोटोकॉल का भी पालन करना होगा।
हालांकि भारत के लिए राहत वाली बात ये है कि हर दिन औसतन 12 हजार के आसपास नए केसेस मिल रहे हैं। अक्तूबर की शुरुआत में यही औसत 23 हजार के आसपास था। ज्यादातर नए केसेस चुनिंदा राज्यों से आ रहे हैं। वैक्सीनेशन के लिहाज से भारत की 22% आबादी ही पूरी तरह वैक्सीनेट हो पाई है। वहीं, 52% को वैक्सीन का सिंगल डोज लग चुका है।
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