चीन में धीमी ईंधन मांग पर चिंता बढ़ने के कारण तेल की कीमतों में सोमवार को लगभग 4 डॉलर की गिरावट आई। ऐसा तब हुआ, जब शंघाई में अधिकारियों ने कहा कि वह कोरोना टेस्टिंग के लिए देश के वित्तीय केंद्र को बंद कर देंगे।
ऐसे में एक तरफ यूक्रेन और रूस के बीच चल रहे युद्ध के कारण बाजार में पहले से ही अनिश्चितता है, वहीं अब दूसरी ओर दुनिया के सबसे बड़े कच्चे तेल के आयातक चीन में कोरोना संबंधित लॉकडाउन का विस्तार होने से बाजार और तनाव में है। बता दें कि रूस दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा कच्चे तेल का निर्यातक है।
ब्रेंट क्रूड वायदा 116.00 डॉलर प्रति बैरल के निचले स्तर पर फिसल गया और 3.88 डॉलर या 3.2 प्रतिशत की गिरावट के साथ 116.77 डॉलर (0131 GMT) पर कारोबार कर रहा था। यूएस वेस्ट टेक्सस इंटरमीडिएट (WTI) क्रूड वायदा 109.30 डॉलर प्रति बैरल के निचले स्तर पर पहुंच गया। यह 3.92 डॉलर या 3.4 फीसदी नीचे रहते हुए 109.98 डॉलर पर था। दोनों बेंचमार्क अनुबंध शुक्रवार को 1.4% बढ़े थे। इन्होंने तीन सप्ताह में अपना पहला साप्ताहिक लाभ दर्ज किया था, जिसमें ब्रेंट 11.5% से अधिक चढ़ा था और WTI 8.8 फीसदी चढ़ा था।
फुजितोमी सिक्योरिटीज कंपनी लिमिटेड के मुख्य विश्लेषक काज़ुहिको सैतो ने कहा, “शंघाई के लॉकडाउन ने निराश निवेशकों से एक नई बिकवाली को प्रेरित किया क्योंकि उन्हें उम्मीद थी कि इस तरह के लॉकडाउन से बचा जाएगा।”
उन्होंने कहा कि बाजार पर पिछले शुक्रवार को सऊदी ऑयल डिस्ट्रीब्यूशन फैसिलिटी पर मिसाइल हमले के प्रभाव पड़ा था। उन्होंने कहा, “फिर भी, जैसा कि ओपेक+ के हाल के महीनों की तुलना में तेज गति से तेल उत्पादन बढ़ाने की संभावना कम है, हम उम्मीद करते हैं कि इस सप्ताह के अंत में तेल बाजार फिर से तेज हो जाएगा।”
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