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रूस पर भारत की चुप्पी पर सवाल? जर्मन मीडिया ने पीएम के दौरे पर दिखाई दिलचस्पी!

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तीन दिनों की यूरोपीय यात्रा पर हैं। जर्मनी के बाद वो डेनमार्क पहुंचे और आखिर में फ्रांस के दोबारा राष्ट्रपति चुने गए इमानुएल माक्रों से पेरिस में मुलाकात करेंगे। पीएम मोदी 2 मई को छठी इंटर गवर्नमेंटल कंसल्टेशन (IGC) के लिए जर्मनी पहुंचे थे।

डेस्क |

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तीन दिनों की यूरोपीय यात्रा पर हैं। जर्मनी के बाद वो डेनमार्क पहुंचे और आखिर में फ्रांस के दोबारा राष्ट्रपति चुने गए इमानुएल माक्रों से पेरिस में मुलाकात करेंगे। पीएम मोदी 2 मई को छठी इंटर गवर्नमेंटल कंसल्टेशन (IGC) के लिए जर्मनी पहुंचे थे। जर्मन चांसलर ओलाफ शॉल्त्स के साथ मुलाकात में 14 समझौतों पर दस्तखत हुए हैं।

यूक्रेन पर रूसी हमले के साए में हुए पीएम मोदी के इस दौरे पर जर्मन मीडिया में खासी दिलचस्पी दिखी। बर्लिन से प्रकाशित दैनिक बर्लिनर साइटुंग के अनुसार ओलाफ शॉल्त्स ने भारत को एशिया में जर्मनी का प्रमुख सहयोगी बताया।

एक अखबार ने लिखा है, “2045 तक जर्मनी को कार्बन न्यूट्रल होना है। इसके लिए स्टील और रसायन उद्योग में उत्पादन की प्रक्रिया को पूरी तरह बदलना होगा। खासकर ग्रीन हाइड्रोजन ऊर्जा को प्रमुख भमिका निभानी होगी, जिसे बनाने के लिए अभी अक्षय ऊर्जा का इस्तेमाल होता है। जर्मनी को बड़े पैमाने पर हाइड्रोन ऊर्जा का आयात करना होगा।”

म्यूनिख से प्रकाशित ज्युड डॉयचे साइटुंग ने लिखा है, “जब आपके दोस्त का दोस्त (रूस) समस्या पैदा करने का फैसला करता है और इतना ही नहीं जब वह यूरोप में युद्ध शुरू करता है और पड़ोसी पर हमला करता है तो गंभीर बातचीत की जरूरत होती है। जर्मनी के भारत के साथ दोस्ताना रिश्ते हैं। लेकिन धरती के इस आबादी बहुल देश के रूस के साथ भी निकट संबंध हैं। और यूक्रेन पर हमले के बावजूद वह इसे बनाए भी रखना चाहता है।”