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भारत-चीन तनाव शांत करने की होगी फिर कोशिश, 12 जनवरी को कमांडर स्तर की बात

भारत पूर्वी लद्दाख में सैन्य तनाव को शांत करने के लिए सैन्य वार्ता के अगले दौर में चीन के साथ “सार्थक बातचीत” की उम्मीद कर रहा है। इस मामले से परिचित अधिकारियों ने सोमवार को ये जानकारी दी। भारतीय और चीनी सैन्य कमांडर 12 जनवरी को वास्तविक नियंत्रण रेखा के चीनी पक्ष की तरफ चुशुल-मोल्डो मीटिंग प्वाइंट पर सीमा तनाव को कम करने के लिए 14 वें दौर की बातचीत करेंगे। वार्ता ऐसे समय में हो रही है जब एलएसी पर विवाद वाले स्थानों पर दोनों देशों ने फ्रंटलाइन सैनिकों को तैनात किया हुआ है।

अधिकारियों ने कहा कि भारतीय पक्ष एलएसी के साथ शेष टकराव वाले स्थानों को हल करने के लिए रचनात्मक बातचीत की उम्मीद कर रहा है। इन स्थानों पर दोनों सेनाएं मई 2020 से डटी हुई हैं। बचे हुए टकराव वाले क्षेत्रों में हॉट स्प्रिंग्स और डेपसांग शामिल हैं। भारत और चीन के बीच 13वें दौर की सैन्य वार्ता में 10 अक्टूबर को हुई थी। लेकिन तब उस वार्ता में कोई ठोस हल नहीं निकला था और पीपुल्स लिबरेशन आर्मी भारतीय सेना के सुझावों से सहमत नहीं थी।

सूत्रों ने बताया कि ‘वरिष्ठ उच्च सैन्य कमांडर स्तरीय’ वार्ता 12 जनवरी को सुबह साढ़े नौ बजे शुरू होगी। उन्होंने कहा, ”भारत टकराव वाले क्षेत्रों में मुद्दों को हल करने के लिए सार्थक बातचीत की उम्मीद कर रहा है।” ऐसा बताया जा रहा है कि बातचीत मुख्य रूप से हॉट स्प्रिंग्स इलाके में सैनिकों को हटाने पर केंद्रित होगा। ऐसी उम्मीद है कि भारत देपसांग और डेमचोक में मुद्दों को हल करने समेत बाकी के टकराव वाले सभी स्थानों पर जल्द से जल्द सेना को हटाने पर जोर देगा।

भारत और चीन 18 नवंबर को वर्चुअल कूटनीतिक वार्ता में 14वें दौर की सैन्य वार्ता करने पर राजी हुए थे ताकि पूर्वी लद्दाख में बाकी के टकराव वाले स्थानों पर पूरी तरह से सेना को हटाने के लक्ष्य को हासिल किया जा सके। भारत और चीन की सेनाओं के बीच पैंगोंग झील इलाके में हिंसक झड़प के बाद पांच मई 2020 को पूर्वी लद्दाख की सीमा पर गतिरोध पैदा हो गया था।

बैठक को लेकर पूर्व सैन्य संचालन महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल विनोद भाटिया (सेवानिवृत्त) ने कहा, “तथ्य यह है कि दोनों पक्ष बातचीत में लगे हुए हैं, यह एक सकारात्मक संकेत है। इसमें समय लग सकता है लेकिन बातचीत से पारस्परिक रूप से स्वीकार्य समाधान निकलेगा।”

भारत और चीन ने सीमा के दोनों ओर बढ़ती सैन्य गतिविधियों, बुनियादी ढांचे के विकास, निगरानी और मौजूदा सीमा गतिरोध के बीच अपनी सेनाओं द्वारा युद्धाभ्यास को देखते हुए एलएसी पर अपना रुख लगातार कड़ा किया है। सेक्टर में भारतीय सेना की गतिविधियां पीएलए की कार्रवाइयों के जवाब बेहद पुख्ता हैं और किसी भी परिस्थिति में तैयार रहने के लिए काउंटर उपाय किए गए हैं।

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