यूक्रेन पर हमले के बाद से अमेरिका रूस पर कई तरह के प्रतिबंध लगा चुका है। खुद के व कई पश्चिमी देशों के अलावा अमेरिका दूसरे देशों से भी इसी तरह की उम्मीद कर रहा है। हालांकि भारत ने अमेरिकी प्रतिबंधों के बावजूद रूस के साथ अपने रिश्तों पर उनका असर नहीं पड़ने दिया है। यही वजह है कि अमेरिका रूस से भारत के ऊर्जा और अन्य वस्तुओं के आयात में “तेजी” नहीं देखना चाहता है।
यूएस डिप्टी राष्ट्रीय सचिव दलीप सिंह ने गुरुवार को कहा कि उन देशों को परिणाम भुगतने होंगे जो यूक्रेन पर आक्रमण के बाद लगाए गए प्रतिबंधों को रोकने का प्रयास करते हैं।
शीर्ष अमेरिकी-भारतीय सलाहकार और मॉस्को के खिलाफ वाशिंगटन की ओर से दंडात्मक आर्थिक प्रतिबंध लगाने में अहम भूमिका निभाने वाले दलीप सिंह यूक्रेन के खिलाफ रूस के ‘‘अनुचित युद्ध’’ के ‘‘नतीजों’’ पर भारत से गहन परामर्श करने के लिए भारत आए हैं।
दलीप सिंह ने भारत को चेतावनी देते हुए कहा कि रूस आपकी रक्षा के लिए नहीं आएगा। उन्होंने कहा कि भारत को यह नहीं सोचना चाहिए अगर चीन वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) का उल्लंघन करता है तो रूस उनको बचाने आएगा। क्योंकि चीन और रूस में अब “नो लिमिट्स पार्टनरशिप” है।
भारतीय वार्ताकारों के साथ अपनी व्यस्तताओं के बीच पत्रकारों के एक छोटे समूह के साथ बातचीत के दौरान, दलीप सिंह ने यूक्रेन के खिलाफ “पुतिन के अनावश्यक युद्ध” के लिए रूस पर लगाए गए प्रतिबंधों को वापस लेने की कोशिश करने वाले किसी भी देश को अंजाम भुगतने की चेतावनी दी।
हालांकि, उन्होंने कहा कि अमेरिका और भारत जैसे मित्र “रेड लाइन” निर्धारित नहीं करते हैं और नई दिल्ली में उनकी चर्चा वैश्विक शांति और सुरक्षा को रेखांकित करने वाले मूल सिद्धांतों की रक्षा के बारे में एक “ईमानदार बातचीत” की तरह है।
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