मधुमक्खी पालन ग्रामीण क्षेत्रों में मुनाफा देने वाले व्यवसाय में से एक माना जाता है. बड़ी संख्या में किसान इस व्यवसाय से जुड़कर बढ़िया मुनाफा कमा रहे है. सरकार भी किसानों को इस व्यवसाय को अपनाने के लिए लगातार प्रोत्साहित करती रहती है.
केंद्र सरकार भी मधुमक्खी पालन पर 80 से 85 प्रतिशत तक सब्सिटी देती है. इसके अलावा अन्य राज्य सरकारें भी किसानों को इस व्यवसाय को अपनाने के लिए प्रोत्साहित देती रहती है.
वहीं, अलग-अलग राज्यों में मधुमक्खी पालन के लिए सरकार सब्सिडी देती है. इसी के साथ किसानों को मधुमक्खी पालन के दौरान हर संभव मदद करने के लिए राष्ट्रीय मधुमक्खी बोर्ड ने नाबार्ड के साथ टाईअप कर रखा है.
दोनों मिलकर भारत में मधुमक्खी पालन बिजनेस के लिए फाइनेंसिंग स्कीम भी शुरू की है. इसके अलावा केंद्र सरकार भी मधुमक्खी पालन पर 80 से 85 प्रतिशत तक सब्सिडी देती है.
विशेषज्ञों के मुताबिक 10 पेटी से मधुमक्खी पालन की शुरूआत करने पर 35 से 40 हजार रुपये तक का खर्च आता है. मधुमक्खियों की संख्या भी हर साल बढ़ती जाती है. जितनी ज्यादा मधुमक्खियां बढ़ेंगी, उतना ज्यादा ही शहद उत्पादन भी होगा और मुनाफा भी कई गुना बढ़ेगा.
मधुमक्खियों को रखने के लिए किसानों को कार्बनिक मोम की व्यवस्था करनी होती है. इस डिब्बे में 50 से 60 हजार मधुमक्खियां एक साथ रखी जाती है. इन मधुमक्खियों द्वारा तकरीबन एक क्विंटल शहद का उत्पादन होता है.
बाजार में शहद की मौजूदा कीमत 400 से 700 रुपये प्रति किलोग्राम तक है अगर प्रति बॉक्स 1000 किलोग्राम की शहद बनाते हैं, तो प्रति महीने में 5 लाख तक का शुद्ध मुनाफा हासिल कर सकेंगे.