प्रधानमंत्री मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की मुलाकात असर दिखाने लगी है, जिसका परिणाम भी भारत के नजरिए से साकारात्मक ही दिखाई दे रहा है। इसी के चलते अमेरिक विदेश विभाग ने भारत को 22 प्रीडेटर गार्जियन ड्रोन के निर्यात के लिए जरूरी लाइसेंस की मान्यता दे दी है।
बताया जा रहा है कि विदेश विभाग ने DSP-5 गार्जयिन के लिए निर्यात लाइसेंस जारी किया है। DSP-5 श्रेणी लाइसेंस सैन्य सामग्री के स्थायी निर्यात के लिए जारी किया गया है। गार्जयिन ड्रोन से हिंद महासागर क्षेत्र में भारत की नौवहन निगरानी क्षमताओं में इजाफा होगा।
बीते 26 जून को हुई मोदी और ट्रंप की पहली मुलाकात के दौरान अमेरिका ने यह फैसला लिया था। मुलाकात के बाद राष्ट्रपति ट्रंप ने भारत को ड्रोन बिक्री की घोषणा की थी। गार्जियन ड्रोन से हिंद महासागर क्षेत्र में भारत की नौसैनिक सर्विलांस क्षमता में इजाफा होगा।
इन ड्रोन की अनुमानित कीमत 2 अरब डॉलर (करीब 12928 करोड़ रुपये) है। गार्जियन ड्रोन को निर्माण जनरल एटॉमिक्स करती है। मानवरहित विमान क्षेत्र की यह अग्रणी कंपनी है।