मेडिकल कॉलेज डांटा में आंखों के ऑपरेशन के बाद 4 लोगों की आंखों की रोशनी चले जाने के मामले में शनिवार को उपभोक्ता आयोग की अदालत ने फैसला सुनाया। अदालत ने स्वास्थ्य निदेशालय और टांडा प्रशासन को दोषी मानते हुए 6 लाख 47 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है वो भी 7 फीसदी बयाज के साथ। यह फैसला उपभोक्ता संरक्षण आयोग कांगड़ा की अदालत में अध्यक्ष हिमांशु मिश्रा, सदस्य नारायण ठाकुर व आरती सूद ने सुनाया।
पीड़ितों की ओर से केस की पैरवी कर रहे अधिवक्ता एमजी ठाकुर ने बताया कि 14 दिसंबर 2016 को जिला कांगड़ा के त्रिलोक कुमार निवासी नगरोटा बगवां, गीता देवी निवासी डाडासीबा, इच्छया देवी निवासी सोलहदा और शशि पाल निवासी जवाली ने मोतियाबिंद के चलते दिसंबर 2016 को टांडा में अपनी एक एक आंख का ऑपरेशन करवाया था। उसके बाद इन इन चार लोगों की आंखों की रोशनी चली गई। टांडा में आपरेशन थिएटर में उस समय दो महिला और एक पुरुष डॉक्टर यानि तीन डाक्टरों की टीम थी, जिन्होंने उनकी आंखों का ऑपरेशन किया था। छानबीन में पाया गया कि डाक्टरों ने आपरेशन तो सही तरीके से किया था और मरीजों को दवाईयां भी सही दी गई थीं, लेकिन ऑपरेशन थिएटर ही संक्रमित था।
ऑपरेशन थिएटर में MSSA नाम का इन्फेक्शन था। यह इन्फेक्शन ऑपरेशन में उपयोग हुए उपकरणों के माध्यम से मरीजों की आंखों में पहुंच गया था। इससे साफ अर्थ है कि ऑपरेशन थिएटर में टांडा प्रशासन स्वच्छता को लेकर गंभीर नहीं था। जिसको देखते हुए न्यायालय ने प्रति पीड़ित शिकायकर्ता त्रिलोक चंद, गीता देवी और शशि पाल को 1 लाख 35 हजार रुपये वर्ष 2018 से अब तक सात फीसद ब्याज दर के साथ जुर्माना और 15-15 हजार रुपये शिकायत शुल्क देने के आदेश दिए हैं। इसके अलावा इच्छया देवी जिनकी दूसरी आंख में भी 40 फीसद संक्रमण फैल गया था उन्हें दो लाख 42 हजार रुपये सात फीसद ब्याज सहित और एक लाख 20 हजार रुपये अतिरिक्त राहत राशि देने के आदेश दिए हैं। पीड़ितों को यह राशि टांडा प्रशासन और स्वास्थ्य निदेशालय देगा।
गौरतलब है कि 14 दिसंबर 2016 को जिला कांगड़ा के विभिन्न क्षेत्रों से 5 मरीजों ने टांडा मेडिकल कॉलेज में अपनी आंखों का ऑपरेशन करवाया और अगले दिन यानि 15 दिसबर को चार मरीजों को छुट्टी दी गई। ऑपरेशन के बाद उन्हें जो दवाई आंख में डालने के लिए दी गई थी उसे डालते ही आंखों में जलन शुरू हो गई। 16 दिसंबर को एक मरीज की आंख में संक्रमण पाया गया। सभी मरीजों को वापस अस्पताल बुलाया गया। सभी की आंखो में संक्रमण था, इन्हें बेहतर उपचार के लिए टांडा से पीजीआइ रैफर किया गया। इनमें से तीन मरीज रोटरी आइ हॉस्पिटल मारंडा (पालमपुर) और दो मरीज पीजीआइ भेजा गया। इसमें एक मरीज की आंखों की रोशनी थोड़ी लौट आई थी, लेकिन चार मरीजों की आखों की रोशनी नहीं लौट पाई थी ।