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चर्चा: जयराम सरकार पर संघ का कितना प्रभाव?

समाचार फर्स्ट डेस्क |

हिमाचल प्रदेश में जयराम ठाकुर के नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार का एक महिना से ज्यादा का कार्यकाल पूरा हो चुका है। लेकिन, इस सरकार पर रिमोट-कंट्रोल से संचालन करने के आरोप भी लगने शुरू हो चुके हैं। राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि जयराम ठाकुर पर त्रिकोणीय अंकुश लगा हुआ है। पहला है संघ, दूसरा केंद्रीय नेतृत्व और तीसरा नौकरशाही। हालांकि, पिछले कुछ फैसलों को देखते हुए संघ परिवार का सर्वे-सर्वा दखल की बात खुले तौर पर होने लगी है। 

अभी तक के कामकाज में कैबिनेट में मंत्रियों से लेकर प्रशासनिक तबादलों और हेरफेर की ख़बरें सुर्खियों में रही हैं। माना जा रहा है कि नई नियुक्तियों पर फैसला संघ की राय के बिनाह पर लिया गया है। आगे भी अध्यक्ष, उपाध्यक्ष व अन्य नियुक्तियों को लेकर भी संघ पर ही नज़रें टिकी हुई हैं। जैसे ही संघ की तरफ से इशारा होगा, वह पद तत्काल प्रभाव से भर दिया जाएगा। किसको किस पद पर बिठाना है ये संघ ही तय कर रहा है।

सूचना तो यहां तक है कि बड़ी नियुक्तियों के लिए संघ का एक पैनल बना हुआ है, उसकी राय के बाद ही सब चीजों को अंतिम रूप दिया जा रहा है। संघ से जुड़े लोग ही उच्च पदों पर बिठाए गए हैं। अब इन छन कर आ रही खबरों में कितनी सच्चाई है ये कह पाना मुश्किल है। लेकिन विपक्षी दल कांग्रेस यहां तक की पूर्व मुख्यमंन्त्री वीरभद्रं सिंह भी आरोप लगा चुके है कि संघ के लोगों को मुख्यमंत्री के आसपास लगा रखा है वहीं से सारी चीजें तय हो रही है। विधानसभा में कांग्रेस विधायक दल के नेता ने भी जयराम ठाकुर पर रिमोट से हैंडल होने का आरोप लगा चुके हैं।

बीच में तो खबर यहाँ तक उड़ी की पूर्व मुख्यमंन्त्री प्रेम कुमार धूमल को हराने में संघ का ही हाथ था। वामपंथी नेता टिकेन्द्र पंवर भी इस तरह के बयान दे चुके हैं। जो भी हो धुंआ वही से निकलता है जहाँ आग होती है। सरकार में संघ का दखल तो ज़रूर है, लेकिन कितना और किस हद तक है ये कह पाना मुश्किल है।