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खुलासा: पूर्व CM धूमल को लपेटने के लिए वीरभद्र ने लगाई थी तगड़ी फिल्डिंग

समाचार फर्स्ट डेस्क |

राजनीति के सफेद-स्याह खानों पर शह और मात का कोई ठोस नियम नहीं होता। जिसके हत्थे जो चढ़ गया उसे फौरन साध लिया जाता है। हिमाचल प्रदेश की राजनीति में भी समय दर समय ऐसा देखा जाता रहा है। अब हाल ही में दो धुर विरोधी पूर्व मुख्यमंत्रियों से जुड़ा मसला सामने आया है। ख़बर है कि पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार को HPCA केस में लपेटने के लिए वीरभद्र सरकार ने तगड़ी फिल्डिंग लगा रखी थी। प्रेम कुमार धूमल के खिलाफ अभियोजन को जल्द मंजूरी मिले इसके लिए तत्कालीन सरकार के अफसरों ने तेजी से काम किया और फाइल को हरफनमौला अंदाज में आगे बढ़ाया। 

बताया जा रहा है कि विजिलेंस ने 1900 पन्नों की फाइल बनाई थी। प्रेम कुमार धूमल को एचपीसीए केस में फंसाने के लिए 1900 पन्नों की ये फाइल एक ही दिन में अलग-अलग 8 चैनलों से गृह विभाग के सेक्शन अधिकारी, अंडर सचिव, सचिव, सामान्य प्रशासन विभाग के सचिव, संबंधित ब्रांच और फिर मुख्य सचिव से होते हुए राजभवन तक पहुंचा दी गई। ये सारा काम एक ही दिन में हुआ। यानी गृह विभाग से लेकर सामान्य प्रशासन विभाग और अन्य संबंधित एजेंसियों ने इस फाइल को एक दिन के लिए भी अपने पास अध्ययन के लिए नहीं रोका।

वर्ष 2014 में जिस समय उर्मिला सिंह हिमाचल प्रदेश की राज्यपाल थीं, तो उस समय के मुख्य सचिव पार्थसारथी मित्रा ने राज्यपाल से अभियोजन मंजूरी तत्काल हासिल कर ली थी। उस दौरान पार्थसारथी मित्रा के पास सीएस का अतिरिक्त कार्यभार था। धूमल ने जब अपना पक्ष रखा तो सामने हैरतअंगेज तथ्य आए। सत्ता परिवर्तन के बाद पूर्व सीएम प्रेम कुमार धूमल ने वर्तमान सरकार के समक्ष अपना पक्ष रखा। प्रेम कुमार धूमल ने राज्य सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग के जरिए एचपीसीए केस में अभियोजन मंजूरी वापिस लेने के लिए अपना केस प्रस्तुत किया। यहां बता दें कि वीरभद्र सिंह के नेतृत्व वाली पूर्व कांग्रेस सरकार ने एक अगस्त 2013 को एचपीसीए के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी। उस एफआईआर में प्रेम कुमार धूमल को अन्य 16 लोगों के साथ आरोपी बनाया था।

हिमाचल प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन पर सरकारी जमीन पर कब्जा करने और अवैध रूप से पेड़ काटने जैसे मामले बनाए गए थे। इसी केस में 2 अप्रैल 2014 को प्रेम कुमार धूमल को प्रोसीक्यूट करने के लिए राज्यपाल से मंजूरी ली गई। फिलहाल, सत्ता परिवर्तन के बाद अब जयराम ठाकुर की सरकार ने इस केस का रिकार्ड मंगवाया तो चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। फिलहाल, राज्य के मुख्य सचिव विनीत चौधरी ने इस मामले में गृह और विजिलेंस से टिप्पणियां मांगी थीं। शुक्रवार को इस मामले में सचिवालय में एक अहम बैठक भी हुई। इसके बाद अब सामान्य प्रशासन विभाग के जरिए केस की फाइल फिर से राजभवन जाएगी। ये अलग बात है कि इसी केस में सुप्रीम कोर्ट में भी सुनवाई चल रही है।

उधर, स्टेट विजिलेंस ने भी इस बारे में जयराम सरकार को रिपोर्ट प्रस्तुत की है। इसी केस में यह भी खुलासा हुआ है कि चार्जशीट में प्रेम कुमार धूमल को एचपीसीए का पैट्रन वीरभद्र सिंह सरकार ने अपने ही स्तर पर मान लिया था। हैरानी की बात है कि इसका कोई सबूत रिकार्ड में मौजूद नहीं है। ये भी स्पष्ट नहीं है कि पूर्व सीएम प्रेम कुमार धूमल ने एचपीसीए की किसी बैठक में हिस्सा लिया है। इस बारे में भी कोई रिकार्ड नहीं है।

मुख्य सचिव विनीत चौधरी ने विजिलेंस के एडीजीपी अतुल वर्मा से इस केस में विस्तार से बैठक की है। विजिलेंस से भी फीडबैक लिया गया है कि प्रोसीक्यूशन को रद्द करने के लिए और क्या तथ्य जोड़े जा सकते हैं, क्योंकि अभियोजन मंजूरी पर पुनर्विचार के लिए नए तथ्यों का सामने आना जरूरी है। पेचीदा केस में SC को भी जवाब देगी नई सरकार हिमाचल प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन के इसी केस में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है। हिमाचल सरकार को इस केस में वहां जवाब देना है। पिछली सुनवाई के दौरान हिमाचल के एडवोकेट जनरल अशोक शर्मा के आवेदन पर सुप्रीम कोर्ट ने चार हफ्ते का समय दिया था।

सुनवाई को अब करीब एक सप्ताह बचा है। संभव है इससे पहले प्रेम कुमार धूमल के खिलाफ पूर्व में वीरभद्र सिंह सरकार की तरफ से केस के लिए दी गई अभियोजन मंजूरी को वापिस लेने संबंधी फैसला हो जाए। यहां बता दें कि जयराम सरकार ने सत्ता में आते ही ऐलान किया था कि राजनीतिक बदले की भावना से दर्ज किए गए केस वापिस लिए जाएंगे। एचपीसीए के केस में वीरभद्र सिंह सरकार की तरफ से दर्ज की गई कुछ एफआईआर को तो हिमाचल हाईकोर्ट क्वैश कर चुका है। उसके बाद वीरभद्र सिंह सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंची थी।