आज़ादी के अमृत महोत्सव वर्ष के मौके पर जनजातीय अध्ययन संस्थान, विश्व विद्यालय शिमला एवं राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग, नई दिल्ली के सौंजन्य से स्वतंत्रता संग्राम में जनजातीय नायकों का योगदान विषय पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिसमें मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने मुख्यातिथि के रूप में शिरकत की जबकि शरद चव्हाण मुख्य वक्ता के रुप में भाग लिया.
इस मौके पर मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी के प्रयासों के कारण आज देश आज़ादी का अमृत महोत्सव मना रहा है और इसके तहत आज़ादी की लड़ाई में योगदान देने वाले वीरों को याद किया जा रहा है ताकि युवा पीढ़ी उनके बारे में जान सके. आज़ादी की लड़ाई में कुछ ऐसे भी वीर थे जिनके योगदान का कहीं जिक्र नहीं है. ऐसे स्वतंत्रता सेनानियों के योगदान को याद करने के लिए कार्यक्रम आयोजित किया गया है ताकि उन वीरों की भूमिका को भी समरण किया जा रहा है जो कि काफी महत्वपूर्ण है. जनजातीय क्षेत्र के लोगों का स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण योगदान रहा है जिसे भुलाया नहीं जा सकता है.
इस मौके पर मुख्य वक्ता शरद चव्हाण ने कहा कि महात्मा गांधी, सुभाष चन्द्र बोस, भगत सिंह जैसे स्वतंत्रता सेनानियों को तो सभी लोग जानते हैं लेकिन जनजातीय क्षेत्रों के स्वतंत्रता सेनानी जिन्होंने अपने इलाकों में आज़ादी की लड़ाई लड़ी उनके बारे में कोई नहीं जानता. उनके इतिहास का कहीं जिक्र नहीं है, गूगल और विकी पीडिया में भी उनकी जानकारी नहीं मिलती है इसलिए आज इस कार्यक्रम के माध्यम से उन वीरों के योगदान को याद किया जा रहा है और प्रदर्शनी में भी अनसंग वीरों के बारे में जानकारी दी गई है जिसे युवा पीढ़ी को जानना जरूरी है.
इस मौके पर जनजातीय स्वतंत्रता सेनानी दया चंद नेगी को मुख्यमंत्री ने सम्मानित भी किया. इससे पहले मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने विश्व विद्यालय में लगाई गई स्वतंत्रता सेनानियों की प्रदर्शनी का अवलोकन भी किया. कुलपति सत प्रकाश बंसल ने विश्व विद्यालय में ट्राइबल म्यूजियम स्थापित किए जाने की बात भी कहीं. कार्यक्रम में राष्ट्रीय अनूसचित जनजाति आयोग के प्रतिनिधि मिलिंद थापे ने भी अपने सांझा किए.