हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनावों में जयराम सरकार के आधा दर्जन मंत्री यदि मतदाता की कसौटी पर सही न उतरें तो यह कोई बड़ी हैरानी वाली बात नहीं होगी क्योंकि मतदान के बाद जो भी फीड बैक इनके क्षेत्रों से मिल रही है. वह इन मंत्रियों की राजनीतिक सेहत के लिए कतई ठीक नहीं है. चूंकि मतदान व मतगणना के बीच 26 दिन का अंतराल है. ऐसे में राजनीतिक दलों , कार्यकर्ताओं व राजनीतिक विषलेशन करने वालों को बूथ स्तर तक समीक्षा करने व फीड बैक लेने का समय मिल गया है.
अब प्रदेश भर से मंत्रियों के विधानसभा क्षेत्रों से जो खबरें आ रही हैं उससे इतना तो साफ हो गया है कि मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर के अलावा कोई भी मंत्री सुरक्षित जोन में नहीं है. मंत्रियों को लेकर जो भी खबरें आ रही हैं वह उनके खुश होने का तो कतई आभास नहीं दे रही बल्कि यही लग रहा है कि कम से कम 6 मंत्री जो बेहद कड़े संघर्ष में फंसे रहे हैं को जनता बाहर का रास्ता दिखा सकती है.
इस बार महेंद्र सिंह ठाकुर का बेटा चुनावी मैदान में…
जय राम ठाकुर मंत्रीमंडल में दूसरे नंबर पर जलशक्ति मंत्री महेंद्र सिंह ठाकुर हैं जो चुनाव ही नहीं लड़ रहे हैं क्योंकि उनका बेटा रजत ठाकुर इस बार धर्मपुर से मैदान में हैं और वह भी कड़े मुकाबले में फंसा हुआ हैं.
गोबिंद सिंह ठाकुर जिनके खिलाफ सता विरोधी लहर!
अन्य चर्चित मंत्रियों में मनाली से गोबिंद सिंह ठाकुर हैं जिनके पास पहले दौर में तीन तीन मंत्रालय रहे हैं और अब शिक्षा विभाग का जिम्मा है. गोबिंद सिंह ठाकुर को जहां मनाली से भाजपा से ही जुड़े रहे महेंद्र सिंह के बागी होकर चुनाव लड़ने का नुकसान झेलना पड़ रहा है वहीं कांग्रेस के भुवनेश्वर गौड़ से भी कड़ी टक्कर मिल रही है. चुनावी फीड बैक बताती है कि गोबिंद सिंह ठाकुर जिनके खिलाफ सता विरोधी लहर भी है, की स्थिति काफी कमजोर हो गई है. ऐसे में कुछ भी हो सकता है.
राम लाल मारकंडे को कांग्रेस के रवि ठाकुर से मिल रही कड़ी टक्कर…
लाहुल स्पीति से तकनीकी शिक्षा मंत्री राम लाल मारकंडे को कांग्रेस के रवि ठाकुर से कड़ी टक्कर मिल रही है. यूं भी लाहुल स्पीति का मतदाता लगातार दूसरी बार विधायक कम ही चुनता है. लाहुल स्पीति के मतदाता को हर बार अपना विधायक बदलने की आदत है. ऐसे में इस बार सता विरोधी लहर व रवि ठाकुर से कड़े मुकाबले में राम लाल मारकंडे फंसे हुए हैं. परिणाम उनके लिए गम देने वाला भी हो सकता है.
वीरेंद्र कंवर को इस बार कड़ी चुनौती मिल रही..
पंचायती राज मंत्री वीरेंद्र कंवर जो लगातार उना जिले के कुटलैहड़ से जीतते आ रही है. हर बार उन्हें कांग्रेस की गुटबंदी का लाभ मिल जाता है, इस बार कांग्रेस के देवंेंद्र कुमार भुट्टो जो कभी उनके ही साथी व राजदार रहे हैं उनके सामने हैं. दूसरे कांग्रेसी भी इस बार ज्यादा बागी नहीं है. ऐसे में वीरेंद्र कंवर को इस बार कड़ी चुनौती मिल रही है. जो भी रिपोर्ट मतदान के बाद कुटलैहड़ से मिल रही है वह वीरेंद्र कंवर की राजनीतिक सेहत के लिए उम्दा नहीं मानी जा रही है. यदि इस बार उनकी पीठ लग जाए तो शायद ही किसी को ज्यादा हैरानी न हो.
फतेहपुर से वन मंत्री राकेश पठानिया चुनाव मैदान में…
कांगड़ा जिले के फतेहपुर से वन मंत्री राकेश पठानिया चुनाव मैदान में हैं. उनको नुरपूर से हटाकर फतेहपुर भेजा गया है. उनका यहां आना यहां के भाजपाईयों व जनता को नागवार गुजर रहा है. वह इस बार बेहद कड़े मुकाबले में फंस गए हैं. उन्हें यहीं के बागी कृपाल परमार जिन्हें नाम वापस लेने के लिए प्रधानमंत्री तक का फोन भी आ गया था मगर मैदान से नहीं हटे से भी दो चार होना पड़ा है. भाजपा से ही आम आदमी पार्टी में गए पूर्व सांसद डॉ राजन सुशांत भी उनके लिए ही ज्यादा खतरा माने जा रहे हैं. ऐसे में जहां उन्हें कांग्रेस के वर्तमान विधायक भवानी सिंह पठानिया से कड़ी चुनौती मिल रही है. वहीं अपनों के कारण भी उन्हें खतरा ज्यादा दिखने लगा है. ऐसे में राकेश पठानिया जैसे धाकड़ नेता के लिए मैदान साफ नहीं लग रहा है.
सरवीण चौधरी की बढ़ी मुश्किलें…
जिला कांगड़ा से ही शाहपुर में अधिकारिता एवं सामाजिक कल्याण मंत्री सरवीण चौधरी के लिए इस बार विधानसभा के द्वार तक पहुंचना नाको चने चबाने जैसा हो गया है. हालांकि अंतिम चरण में उसने अपनी स्थिति को काफी सुधारा है मगर केवल सिंह पठानिया को लेकर इस बार शाहपुर में एक सहानुभूति वाली ब्यार देखी गई है जो सरवीण के लिए खतरा बन गई है. हालांकि मेजर विजय सिंह मनकोटिया भी चुनावी मौसम में भाजपा के साथ आए मगर उनके साथ फौजी मतदाता भी साथ आ गया होगा, ऐसा हो नहीं पाया. ऐसे में सरवीण चौधरी के लिए यह चुनाव बेहद कड़ा हो गया हैं. कोई भी परिणाम इसका देखने को मिल सकता है.
घुमारवीं से राजेंद्र गर्ग खाद्य आपूर्ति मंत्री महकमे के मंत्री..
जिला बिलासपुर के घुमारवीं से राजेंद्र गर्ग खाद्य आपूर्ति मंत्री महकमे के मंत्री हैं . बिलासपुर की चारों सीटों में उनकी सीट को सबसे कमजोर माना जा रहा है. मतदान के बाद आए सर्वे उनके पक्ष में कतई नजर नहीं आ रहे हैं. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पूर्व विधायक राजेश धर्माणी से उनकी टक्कर है. आरोप है कि वह क्षेत्र में अपनों का भला करने के अलावा कोई बड़ा काम नहीं कर पाए. सता विरोधी लहर उनके लिए कांग्रेस से भी ज्यादा खतरनाक दिख रही है.
इसके अलावा पावंटा से सुखराम चौधरी, कसुम्मटी से सुरेश भारद्वाज, उद्योग मंत्री विक्रम ठाकुर व स्वास्थ्य मंत्री डॉ राजीव सेहजल भी चुनावी जंग में कोई ज्यादा सुरक्षित जोन में नहीं हैं. उन्हें कड़ी टक्कर मिल रही है. ऐसे में नतीजा चौंका सकता है.
लब्बोलुआब यही है कि जय राम ठाकुर मंत्रीमंडल के आधा दर्जन से भी अधिक मंत्रियों को मतदाता शिमला भेजने की बजाय घर बिठाने का इंतजाम कर सकता है.