हिमाचल किसान सभा की एक टीम ने ऊना जिला का दौरा किया किसान सभा के राज्याध्यक्ष डॉ कुलदीप सिंह तंवर ने वहां पर रसायनिक प्रदूषण से प्रभावित किसानों की बैठक करते हुए कहा कि समस्या के समाधान के लिए संगठित होने की अपील की व किसानों को आश्वासन दिया की इस मुद्दे को राज्य सरकार व प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से उठाया जाएगा व जल्द से जल्द समाधान के लिए दबाव बनाया जाएगा.
अगर समाधान नहीं किया गया. तो किसानों को इकठ्ठा कर संघर्ष किया जाएगा. हिमाचल और पंजाब की सीमा पर स्थित एक रसायनिक(PCL) उद्योग है. ये उद्योग पहले पंजाब सरकार पंजाब एल्कलीज केमिकल लिमिटेड (PACL) के नाम से चलाती थी, लेकिन पिछली कोंग्रेस सरकार ने इस उद्योग को निजी हाथो में बेच दिया.
अब ये उद्योग प्रोमो केमिकल लिमिटेड (PCL) के नाम से चल रहा है और इसमें कास्टिक सोधा,HCL हाईडरो क्लोरिक, क्लोरिन गैस,सोडियम क्लोराइड, HYPO, C.P.W जैसे रसायन बनते और इस्तेमाल किए जाते है. लेकिन इस उद्योग से निलकने वाले केमिकल वेस्टेज से स्थानीय लोगो की जमीन बंजर बनने की कगार पर पहुंच गई है.
केमिकल उद्योग अपनी बेस्तेज को ट्रीटमेंट प्लांट में ना डाल कर पिट में छोड़ रहा है जिससे भू-जल प्रदूषित हो चूका है. कुछ लोगों का कहना है कि शायद इस उद्योग ने रिवर्स ड्रैनिंग के जरिए कामिकल बेस्टेज को सीधा भूजल में मिला दिया है.
अब इस क्षेत्र का भू-जल पीने लायक नही रहा है, और ना ही सिंचाई के काम आ रहा है क्योंकि उसमें भारी मात्रा में कैमिकल घुल चूका है. इस पानी से सिंचाई करने से फसल खराब हो जाती है और पीने लायक तो पानी बिलकुल भी नहीं रहा है. इसके अतिरिक्त अक्सर इस उद्योग से गैस लीक होती रहती है. जिससे फसल तो खराब होती ही है. स्थानीय लोगो की सेहत भी खराब हो जाती है.
इस परेशानी से क्षेत्र के लगभग 15 गाव की लगभग 150 एकड़ जमीन और 30,000 की आबादी प्रभावित हो रही है. बच्चो पर इसका ज्यादा दुष्प्रभाव पड़ रहा है उसनके मानसिक और शरीक विकास ठीक तरह से नही हो रहा है.