कांगड़ा: EU एग्रीकल्चर ने ट्वीट करते हुए लिखा हैं कि भारत से एक नया भौगोलिक संकेत पंजीकृत किया. कांगड़ा चाय पश्चिमी हिमालय में धौलाधार पर्वत श्रृंखला की ढलानों पर समुद्र तल से 900-1,400 मीटर ऊपर उगाई जाती है. इसमें अखरोट जैसा, वुडी सुगंध और बाद में मीठा स्वाद होता है.
वहीं, कैबिनेट (स्वतंत्र प्रभार) आरएस बाली ने चाय की सराहना करते हुए कहा कि यह सभी हिमाचलियों के लिए गर्व की बात है. जीआई टैग एक महत्वपूर्ण प्रमाणीकरण है. जो कांगड़ा में उत्पादित चाय की उत्पत्ति को पहचानता है. 19वीं शताब्दी के मध्य से कांगड़ा घाटी में ब्लैक टी और ग्रीन टी दोनों की खेती की जाती रही है.
कांगड़ा में चाय का पालमपुर और धर्मशाला में उत्पादन व्यापक है. कांगड़ा चाय अपने विशिष्ट स्वाद और रंग के लिए प्रसिद्ध है. हरी चाय में एक सूक्ष्म वुडी सुगंध होती है. जबकि काली चाय में एक मीठा, स्थायी स्वाद होता है.