हिमाचल प्रदेश की सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार की पहली गारंटी ओपीएस का सबसे पहला असर मंडी जिले में देखने को मिला है। जिले की नाचन विधानसभा क्षेत्र ग्राम पंचायत छम्यार के गांव बखल्यान सुराह निवासी चिंत राम शास्त्री को पुरानी पेंशन मिलेगी। इसके लिए एजी शिमला कार्यालय से पत्र जारी हो गया है।
चौंसठ साल के चिंत राम शास्त्री पुरानी पेंशन यानि ओपीएस पाकर गदगद हैं। उन्होंने एक विशेष भेंट में बताया कि प्रदेश में ओपीएस बहाली के तहत पुरानी पेंशन पाने वाले हम दो रिटायरी कर्मचारी हैं। इनमें मेरे अलावा कांगड़ा जिले से सरदारी लाल हैं जो कला अध्यापक के पद से सेवानिवृत हुए हैं।
चिंत राम शास्त्री ने बताया कि उन्होंने 9 सितंबर 2003 को शास्त्री पद पर नौकरी हासिल की थी। उस समय प्रदेश में न्यू पेंशन स्कीम यानि नेशनल पेंशन स्कीम लागू हो चुकी थी। वह 31 जुलाई 2017 को जब वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला किलिंग से सेवानिवृत हुए तो उन्हें पेंशन के तौर पर महज 1770 रूपए मिले जो उनके लिए एक बड़ा झटका था।
इसी बीच प्रदेश में भी ओपीएस की बहाली के आंदोलन चला और प्रदेशाध्यक्ष प्रदीप ठाकुर की अगुवाई में पूरा प्रदेश के कर्मचारी एक मंच पर आ गए। उस वक्त की जय राम ठाकुर की भाजपा सरकार ने तो उनकी नहीं सुनी मगर चुनाव आ जाने से कांग्रेस सरकार ने इस मुद्दे को लपक इसे अपनी दस गारंटियों पर सबसे पहली गारंटी बनाया।
कांग्रेस सरकार बनने के बाद कुछ समय तो इसके लिए लगा मगर आखिर में उन्हंे जब एजी कार्यालय शिमला से पत्र प्राप्त हो गया तो वह खुशी से फूले नहीं समा रहे हैं। उनके अनुसार सबसे पहले दो रिटायरी कर्मियों को ही यह लाभ मिला है। इनमें मेरे अलावा एक कांगड़ा जिले से सरदारी लाल हैं जो कला अध्यापक के तौर पर सेवानिवृत हुए हैं।
चिंत राम शास्त्री ने इसके लिए मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू , उनकी समस्त केबिनेट व ओपीएस संघर्ष समिति के प्रदेशाध्यक्ष प्रदीप ठाकुर का आभार जताया है। उन्होंने कहा कि 6 साल तक तो वह भारी मन से ही 1770 रूपए लेते रहे हैं मगर अब उन्हें जब 25500 के साथ साथ महंगाई भत्ता भी पेंशन के तौर पर मिलेगा तो यह उनके सेवा काल के बाद मिले बड़े तोहफे जैसा होगा।