शिमला शहर में पानी, कूड़ा और प्रॉपर्टी टैक्स की दरों में हुई वृद्धि के ख़िलाफ़ शिमला नागरिक सभा ने हल्ला बोल दिया है और स्मार्ट मीटर लगाने का भी विरोध किया है। नागरिक सभा शिमला उपायुक्त कार्यालय के बाहर विरोध प्रदर्शन कर नगर निगम शिमला, एसजेपीएनएल प्रबन्धन, विद्युत नियामक आयोग व प्रदेश सरकार को चेतावनी दी है कि अगर पानी, बिजली, कूड़ा व प्रोपर्टी टैक्स में बढ़ोतरी की गई तो नागरिक सभा इसके खिलाफ बड़ा आंदोलन खड़ा करेगी।
शिमला नागरिक सभा के संयोजक संजय चौहान ने कहा है कि निजीकरण व व्यापारीकरण की नीतियों के कारण जनता की बुनियादी सुविधाओं पर हमला हो रहा है। जनता को उनकी मूलभूत सुविधाओं से वंचित किया जा रहा है। विश्व बैंक की शर्तों व खर्चों की भरपाई की आड़ में हर वर्ष शिमला शहर में बुनियादी सुविधाओं के रेट में दस प्रतिशत या अधिक की बढ़ोतरी हो रही है। बुनियादी सुविधाओं की दरों में दस प्रतिशत की वृद्धि की नीति वर्ष 2017 में तत्कालीन भाजपा सरकार व भाजपा शासित नगर निगम शिमला ने लाई थी। यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि कांग्रेस की वर्तमान सरकार व कांग्रेस शासित नगर निगम शिमला भी भाजपा की उसी नीति को लागू कर रही है जिसे बर्दास्त नही किया जाएगा।
वहीं शिमला शहरी विधायक हरीश जनारथा ने भी कुड़े पानी की दरों में वृद्धि को ग़लत करार दिया और कहा कि इसको लेकर आज सभी अधिकारियों से बैठक भी बुलाई गई है जिसमें वर्ल्ड बैंक के साथ हुए समझौते का अध्ययन भी होगा और ये सुनिश्चित किया जाएगा कि अगर वृद्धि भी होनी है तो कम से कम लोगों को पानी आपूर्ति तो हो और बिल भी समय पर मिले, न कि दो तीन महीनों का बिल एक साथ थोपा जाए।
दूसरी तरफ नगर निगम शिमला के आयुक्त भूपेंद्र अत्री का कहना है कि प्रॉपर्टी टैक्स व कूड़े के बिल में अलग से कोई बढ़ोतरी नही की गई है।नगर निगम सदन में यह पहले ही पास हो चुका है कि प्रतिवर्ष कूड़े के बिलों में 10% कई बढ़ोतरी की जाएगी।जिससे उतनी ही बढ़ोतरी सेहब सोसाइटी के कर्मियों के वेतन में होगी। यह प्रतिवर्ष की प्रक्रिया है कोई अतिरिक्त बढ़ोतरी नही की गई है। प्रॉपर्टी टैक्स में इस बार आठ प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है गत वर्ष और इस वर्ष को मिलाकर आठ प्रतिशत की बढ़ोतरी होगी।प्रॉपर्टी टैक्स में पहले से ही निर्धारित है कि प्रतिवर्ष 4% वृद्धि की जाए।