Kullu Dussehra Begins: राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने रविवार को कुल्लू के रथ मैदान में सप्ताह भर चलने वाले अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरे का शुभारम्भ किया। राज्यपाल ने भगवान श्री रघुनाथ जी की रथयात्रा में भी भाग लिया और सात दिवसीय सांस्कृतिक संध्या का भी लाल चंद प्रार्थी कलाकेंद्र में शुभारंभ किया। इस अवसर पर लेडी गवर्नर जानकी शुक्ला भी उपस्थित थीं। राज्यपाल ने हजारों श्रद्धालुओं के साथ उत्सव के मुख्य आकर्षण स्थल पर पहुंचकर भगवान श्री रघुनाथ जी की पूजा-अर्चना की। उन्होंने प्रदेशवासियों को दशहरे की शुभकामनाएं दी। इस अवसर पर सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजय करोल और उप-मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री भी उपस्थित थे। राज परिवार की ओर से पूर्व सांसद महेश्वर सिंह ने रघुनाथ भगवान की पालकी की अगुवाई की जो रघुनाथ जी के छड़ीवारदार भी हैं।
रथयात्रा में करीब 50 हज़ार श्रद्धालुओं और देवलुओं ने भगवान रघुनाथ के रथ को खींचा। इस अवसर पर राज्यपाल ने कहा कि यह प्रदेशवासियों का सौभाग्य है कि कुल्लू की पवित्र भूमि में भगवान श्री रघुनाथ जी का वास है और यहां से उनका गहरा नाता है। उन्होंने कामना की कि भगवान श्री रघुनाथ जी का प्रदेशवासियों पर आशीर्वाद सदैव बना रहे ताकि हम इसी प्रकार अपनी देव संस्कृति को आगे बढ़ाते रहें। उन्होंने कहा कि यह उत्सव पर्यटन की दृष्टि से भी महत्त्वपूर्ण है और हमें इस दौरान लोगों को नशे के खिलाफ जागरूक करने के भी प्रयास करने चाहिए।
#WATCH | Kullu, Himachal Pradesh | The devotees perform rituals and offer prayers at Shri Raghunath temple as they participate in the International Kullu Dussehra celebration. pic.twitter.com/ANte09u7os
— ANI (@ANI) October 13, 2024
उन्होंने कहा कि अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और ऐतिहासिक महत्त्व के लिए प्रसिद्ध यह त्योहार बुराई पर अच्छाई और अधर्म पर धर्म की विजय का प्रतीक है। सदियों से हमारी सांस्कृतिक विरासत का अभिन्न अंग रहे कुल्लू के इस अनूठे उत्सव ने न केवल यहां की परम्पराओं को संजोकर रखा है, बल्कि अपनी भव्यता के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विशेष पहचान भी बनाई है।उन्होंने कहा कि यह पवित्र त्योहार जहां एक ओर हमें हमारी जड़ों से जोड़ता है वहीं रावण पर भगवान श्री राम की जीत, राक्षसों की पराजय और धर्म की पुनः स्थापना का स्मरण भी करवाता है। उन्होंने कहा कि अधर्म कितना भी बलशाली क्यों न हो अंत में जीत सत्य, न्याय और सदाचार की होती है। राज्यपाल ने कहा कि भारत के अन्य भागों में जहां केवल एक दिन के लिए यह उत्सव मनाया जाता है। वहीं कुल्लू में यह उत्सव सप्ताह भर मनाया जाता है और यहां देवभूमि के रीति-रिवाजों, कला और सामुदायिक भावना की शानदार झलक देखने को मिलती है।
उत्सव के दौरान देवताओं की शोभा यात्रा, आकर्षक मेले और विभिन्न क्षेत्रों के लोगों की भागीदारी हिमाचल प्रदेश के लोगों के आध्यात्मिक और सांस्कृतिक विरासत के साथ गहरे संबंध को दर्शाती है। उन्होंने कहा कि हिमाचल अपने नैसर्गिक सौंदर्य के लिए जाना जाता है और यहां के वातावरण को स्वच्छ और संसाधनों को संजोकर रखना हम सभी का समान दायित्व है। राज्यपाल ने कहा कि हमें विश्वास है कि यह त्योहार सामाजिक एकता को मजबूत करने, राज्य में समृद्धि लाने और हमें एक उज्ज्वल भविष्य की ओर अग्रसर होने के लिए प्रेरित करेगा। उन्होंने कहा कि देवभूमि में नशे के लिए कोई भी स्थान नहीं है और इसे जड़ से उखाड़ने के लिए सभी को एक साथ आगे आना चाहिए ताकि राज्य का वातावरण स्वस्थ बना रहे। इस अवसर पर जिला कुल्लू के विभिन्न क्षेत्रों से 300 से अधिक देवता भाग ले रहे हैं। इससे पूर्व, भुंतर हवाई अड्डे में आगमन पर राज्यपाल का गर्मजोशी से स्वागत किया गया। मुख्य संसदीय सचिव सुंदर सिंह ठाकुर, विधायक, उपायुक्त तोरूल एस रवीश, पुलिस अधीक्षक डॉ. कार्तिकेयन गोकुलचंद्रन और अन्य गणमान्य व्यक्ति भी इस अवसर पर उपस्थित थे।`