Pashakot Dev Arrival: चौहारघाटी के आराध्य देव पशाकोट, जिन्हें पहाड़ी बजीर के नाम से जाना जाता है, गुरुवार को बारिश की रिमझिम फुहारों के बीच उरला पहुंचे। यहां हियूण गांव निवासी नेत्र लाल की मन्नत पूरी होने के उपलक्ष्य में जातर उत्सव का आयोजन किया गया। इस मौके पर स्थानीय ग्रामीणों और देवता के साथ आए देवलुओं व कारदारों के लिए पारंपरिक मंडयाली धाम परोसी गई।
शाम को देवता अपने करालडी स्थित नवनिर्मित मंदिर के लिए रवाना हुए। इस दौरान देवता ने उरला में एनएच किनारे करालडी सड़क मार्ग पर निर्मित मुख्य द्वार का रिबन काटकर शुभारंभ भी किया। शुक्रवार सुबह करालडी मंदिर में देवता के समक्ष हारका उत्सव का आयोजन किया जाएगा। देवता यहां दो दिनों तक विराजमान रहेंगे, जहां उनके रथ का विशेष हार श्रृंगार किया जाएगा।
शनिवार शाम को देवता गैल गांव में जातर उत्सव में शामिल होंगे, जबकि रात्रि ठहराव मसवाहण गांव में होगा। इसके बाद 25 फरवरी को देवता टांडू गांव में ठहरेंगे, जहां से 26 फरवरी को चौहारघाटी के सभी देवता बड़े देव हुरंग काली नारायण की अगुवाई में मंडी माधवराय दरबार में हाजिरी भरेंगे।
इस बीच, बड़े देव हुरंग काली नारायण भी शिवरात्रि महोत्सव में भाग लेने के लिए बुधवार को अपने मूल मंदिर से रवाना हुए। गुरुवार को उन्होंने घोघरधार पार कर रुहाड़ा इलाके में प्रवेश किया, जहां सियून गांव में उनका रात्रि ठहराव हुआ। ग्रामीणों ने पारंपरिक वाद्य यंत्रों के साथ देवता का भव्य स्वागत किया। बारिश और बर्फबारी से खुश ग्रामीणों ने गांव-गांव में भक्ति भाव से सत्कार किया।
आराध्य देव पशाकोट के गुर प्रेम सिंह ने बताया कि 26 फरवरी को देवता मंडी माधवराय दरबार में हाजिरी भरेंगे।