- गंगा सप्तमी पर गंगा स्नान, पूजन और दान से मिलता है मोक्ष
- शनिवार व्रत से शनि दोष होगा शांत, आज रवियोग और त्रिपुष्कर योग का शुभ संयोग
- चौघड़िया और मुहूर्त के अनुसार बनाएं दिन की योजना, पूर्व दिशा का दिशाशूल
आज 3 मई 2025 को गंगा सप्तमी, शनिवार व्रत और त्रिपुष्कर योग का अत्यंत पुण्य संयोग है। आज की तिथि वैशाख शुक्ल सप्तमी है, जिसे गंगा जयंती के रूप में भी मनाया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इसी दिन ब्रह्मा जी के कमंडल से गंगा की उत्पत्ति हुई थी और राजा भगीरथ की तपस्या से उनका धरती पर अवतरण हुआ था। इस दिन गंगा स्नान, दान और पूजन करने से समस्त पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
आज त्रिपुष्कर योग सुबह 07:51 बजे से दोपहर 12:34 बजे तक रहेगा, वहीं रवियोग का प्रारंभ 05:39 बजे सुबह से दोपहर 12:34 बजे तक है। ये दोनों योग बेहद शुभ माने जाते हैं और इन समयों में किए गए कार्य तीन गुना फल देते हैं। इसके साथ ही आज शनिवार व्रत भी है, जो विशेष रूप से शनि दोष, साढ़ेसाती या ढैय्या के प्रभाव को कम करने में सहायक होता है।
शनि देव को प्रसन्न करने के लिए नीले फूल, काले तिल, काले वस्त्र, शमी पत्ते, तेल आदि से पूजन करें, शनि चालीसा, शनिवार व्रत कथा और शनि स्तोत्र का पाठ करें और शाम को शमी वृक्ष के नीचे दीपक जलाएं। जरूरतमंदों को काले कपड़े, तेल, काले चने, छाता आदि का दान भी किया जा सकता है।
आज के शुभ-अशुभ समय और चौघड़िया इस प्रकार हैं:
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सूर्योदय: 05:39 AM | सूर्यास्त: 06:58 PM
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चंद्रोदय: 10:33 AM | चंद्रास्त: 12:58 AM (4 मई)
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राहुकाल: 08:58 AM – 10:38 AM
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अभिजीत मुहूर्त: 11:52 AM – 12:45 PM
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अमृत काल: 10:13 AM – 11:47 AM
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दिशाशूल: पूर्व दिशा
दिन के शुभ चौघड़िया:
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07:19 AM – 08:58 AM: शुभ
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12:18 PM – 01:58 PM: चर
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01:58 PM – 03:38 PM: लाभ
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03:38 PM – 05:18 PM: अमृत
रात्रि के चौघड़िया:
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06:58 PM – 08:18 PM: लाभ
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09:38 PM – 10:58 PM: शुभ
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10:58 PM – 12:18 AM: अमृत
पंचांग के अनुसार आज की स्थिति:
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तिथि: सप्तमी (07:51 AM से)
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नक्षत्र: पुनर्वसु (12:34 PM तक), फिर पुष्य
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करण: तैतिल (07:51 AM तक), फिर गर
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योग: शूल
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चंद्र राशि: मिथुन (06:37 AM तक), फिर कर्क
आज का दिन आध्यात्मिक कार्यों, दान, व्रत और साधना के लिए अत्यंत शुभ है। विशेषकर त्रिपुष्कर योग और रवियोग के दौरान किया गया कोई भी पुण्य कार्य, दान या शुभ कार्य तीन गुना फल देने वाला होता है।



