➤ जेपी नड्डा की जगह मनोहर लाल खट्टर को अध्यक्ष बनाने की चर्चा तेज
➤ भाजपा छह नामों पर हो चुका है मंथन, जल्द हो सकता है ऐलान
➤ संगठन, क्षेत्रीय संतुलन और जातीय समीकरण तय करेंगे नया अध्यक्ष
अखिलेश महाजन
भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के उत्तराधिकारी के तौर पर पूर्व हरियाणा मुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर का नाम सबसे आगे बताया जा रहा है। विश्वस्त सूत्रों के अनुसार, पार्टी आलाकमान और संघ के बीच बैठकों में खट्टर के नाम पर सहमति बन रही है। वे वर्तमान में केंद्र में शहरी विकास और ऊर्जा जैसे महत्वपूर्ण मंत्रालय संभाल रहे हैं।
चर्चा है कि भाजपा जल्द ही नए राष्ट्रीय अध्यक्ष के नाम का ऐलान कर सकती है। पार्टी ने छह नामों पर गंभीरता से विचार हो चुका है। जिनमें शिवराज सिंह चौहान, मनोहर लाल खट्टर, भूपेंद्र यादव, धर्मेंद्र प्रधान, और दो महासचिव सुनील बंसल और विनोद तावड़े शामिल हैं।
बता दें कि मनोहर लाल खट्टर का संगठनात्मक अनुभव बहुत गहरा है। वे 1977 से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से जुड़े रहे हैं और 1994 में भाजपा में संगठन मंत्री बने। 2000 से 2014 तक हरियाणा भाजपा के संगठन महामंत्री रहे। 2014 में वे राज्य के पहले गैर-जाट मुख्यमंत्री बने और 10 वर्षों तक सफलतापूर्वक सरकार चलाई।
संघ और भाजपा में उनकी छवि एक समर्पित कार्यकर्ता, अनुशासित प्रशासक और जमीन से जुड़े नेता की रही है। 2024 के लोकसभा चुनावों के बाद उन्हें केंद्र लाया गया और अब उन्हें पार्टी की कमान सौंपने की तैयारी मानी जा रही है।
जेपी नड्डा का कार्यकाल अब अंतिम चरण में है और वह राज्यसभा से भी इस्तीफा दे चुके हैं। पार्टी अगले संगठनात्मक चुनाव से पहले नया चेहरा सामने लाना चाहती है। ऐसे में खट्टर को भाजपा के नए अध्यक्ष के तौर पर प्रोजेक्ट करने की पूरी रणनीति तैयार हो चुकी है।
उनका प्रशासनिक अनुभव, संघ से संबंध, और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से निकटता उन्हें अन्य दावेदारों जैसे शिवराज सिंह चौहान, सुनील बंसल और भूपेंद्र यादव से आगे ले जाता है। यदि सब कुछ योजना के अनुसार हुआ, तो खट्टर अगले कुछ हफ्तों में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष बन सकते हैं।
वहीं, केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर शुक्रवार को पानीपत पहुंचे, जहां मीडिया ने जब उनसे पूछा कि क्या वे भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के लिए पहली पसंद हैं, तो उन्होंने श्रीमद्भगवद गीता का श्लोक “कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन” उद्धृत करते हुए कहा कि मैं फल की इच्छा नहीं करता, केवल अपने कर्म पर ध्यान देता हूं। खट्टर ने स्पष्ट किया कि संगठन में जो भूमिका दी जाती है, वह उसे पूरी निष्ठा से निभाते हैं।
पूर्व मुख्यमंत्री रहते हुए प्रशासनिक अनुभव रखने वाले खट्टर का यह बयान ऐसे समय में आया है जब हरियाणा में राजनीतिक हलचल और राष्ट्रीय नेतृत्व में बदलाव की अटकलें तेज हैं। भाजपा के भीतर भी राष्ट्रीय नेतृत्व को लेकर चर्चाएं जारी हैं और खट्टर का यह संयमित और संतुलित बयान उसी पृष्ठभूमि में देखा जा रहा है।



