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धूमल का सरकार पर वार: लॉटरी से फिर बर्बादी की ओर बढ़ेगा हिमाचल

➤ लॉटरी को दोबारा शुरू करने पर पूर्व सीएम धूमल का कड़ा विरोध
➤ कहा- 1999 में बंद किया था सिस्टम, तब हजारों परिवार तबाह हो रहे थे
➤ भाजपा ने निर्णय को जनविरोधी करार दिया, तुरंत रद्द करने की मांग


पूर्व मुख्यमंत्री प्रो. प्रेम कुमार धूमल ने हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा प्रदेश में लॉटरी प्रणाली को फिर से शुरू करने के निर्णय की कड़ी निंदा की है। धूमल ने इसे प्रदेश को बर्बादी की ओर ले जाने वाला निर्णय बताया है और सरकार से इस फैसले को तत्काल वापस लेने की मांग की है।

धूमल ने याद दिलाया कि 1999 में जब वे मुख्यमंत्री बने थे, तो प्रदेश में लॉटरी से जुड़ी भारी आर्थिक और सामाजिक बर्बादी देखी गई थी। कर्मचारियों की सैलरी, युवाओं की बचत, सेवानिवृतों की पेंशन, और मजदूरों की मेहनत की कमाई इस लॉटरी की भेंट चढ़ गई थी। उन्होंने कहा कि उस वक्त हजारों परिवारों को आर्थिक तबाही झेलनी पड़ी थी, इसलिए उन्होंने लॉटरी को पूरी तरह से बंद करने का ऐतिहासिक निर्णय लिया था ताकि प्रदेशवासी इस अभिशाप की आदत में न पड़ें।

धूमल ने कहा कि 17 अप्रैल 1996 को उच्च न्यायालय ने सिंगल डिजिट लॉटरी पर पहले ही प्रतिबंध लगा दिया था, और भाजपा सरकार ने 1999 में पूरे लॉटरी सिस्टम को बंद किया। उन्होंने कांग्रेस सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि 2004 में फिर लॉटरी शुरू की गई थी, लेकिन खुद तत्कालीन मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने बाद में इसे फिर बंद कर दिया, क्योंकि वे भी समझ गए थे कि लॉटरी एक अभिशाप है

पूर्व सीएम ने आंकड़ों के हवाले से कहा कि आज प्रदेश में 2.31 लाख कर्मचारी हैं, जिनमें से 1.6 लाख नियमित कर्मचारी हैं, और 9 से 10 लाख बेरोजगार हैं। उन्होंने चेताया कि लॉटरी का दोबारा आरंभ होना इन सभी वर्गों के लिए खतरा बन सकता है, जो पहले भी नुकसान उठा चुके हैं।

धूमल ने कहा कि प्रदेश सरकार ने सत्ता में आने से पहले 1 लाख युवाओं को नौकरी और 5 साल में 5 लाख नौकरियों का वादा किया था, लेकिन अब प्रदेश शराब, नशा, चिट्टा और लॉटरी का गढ़ बनता नजर आ रहा है। भाजपा इस निर्णय को जन विरोधी और विनाशकारी बताते हुए तत्काल प्रभाव से रद्द करने की मांग कर रही है।