➤ हिमाचल ने लोन लिमिट 5% करने का आग्रह किया
➤ 1500 करोड़ स्पेशल पैकेज जल्द जारी करने की मांग
➤ GST से हुए नुकसान की भरपाई का अनुरोध किया
दिल्ली में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और केंद्रीय राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह से मुलाकात के दौरान हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने राज्य की वित्तीय स्थिति को मजबूत करने के लिए अहम मांगें केंद्रीय सरकार के समक्ष रखीं।
सीएम सुक्खू ने बताया कि राज्य को वर्तमान में जीडीपी का केवल 3.5 प्रतिशत ही लोन लेने की अनुमति है। उन्होंने इसे पूर्व भाजपा सरकार की तर्ज पर 5 प्रतिशत करने की मांग की। इसके साथ ही उन्होंने केंद्र द्वारा जून 2022 से 3500 करोड़ रुपए का जीएसटी कंपन्सेशन बंद किए जाने का मुद्दा भी प्रमुखता से उठाया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि रेवेन्यू डेफिसिट ग्रांट को 10249 करोड़ से घटाकर 3257 करोड़ रुपए किया गया है, जिससे प्रदेश को भारी आर्थिक झटका लगा है। ओल्ड पेंशन स्कीम (OPS) बहाल करने के बाद केंद्र ने 1600 करोड़ की एडिशनल बोरोइंग भी बंद कर दी है। यही नहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 10 सितंबर को हिमाचल दौरे के दौरान आपदा राहत के लिए घोषित 1500 करोड़ रुपए का विशेष पैकेज भी अभी तक जारी नहीं हुआ है।
सीएम ने केंद्रीय वित्त मंत्री को बताया कि पिछले तीन वर्षों में प्राकृतिक आपदाओं से 18000 करोड़ रुपए का भारी नुकसान हुआ है और 1321 लोगों की जान गई है। राज्य में संसाधन व श्रम शक्ति पर भी गंभीर असर पड़ा है।
इसके साथ ही जीएसटी लागू होने से फॉर्मास्यूटिकल इंडस्ट्री में भारी राजस्व नुकसान हुआ है। उन्होंने बताया कि एशिया की 35% फार्मा यूनिट्स हिमाचल में हैं और बद्दी से पहले जहां 3500 करोड़ राजस्व आता था, अब वह घटकर 150 करोड़ रह गया है। इसकी भरपाई की मांग सीएम ने दोहराई।
केंद्रीय राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह से मुलाकात में सीएम सुक्खू ने 150 ऑटोमैटिक वेदर स्टेशन, किन्नौर में डॉप्लर रडार, तथा ऊंचाई वाले क्षेत्रों में वायु निगरानी सिस्टम और शैडो जोन में कॉम्पैक्ट वेदर रडार स्थापित करने की मांग रखी, ताकि प्राकृतिक आपदाओं से पहले चेतावनी प्रणाली को मजबूत किया जा सके।



