➤ आपदा में सैकड़ों मौतों और भारी तबाही के बीच सरकार के तीन साल का जश्न मनाने पर जयराम ठाकुर का बड़ा सवाल
➤ केंद्र द्वारा दी गई 5500 करोड़ राहत राशि का हिसाब मांगा, पीएम के 1500 करोड़ को बताया पत्थर की लकीर
➤ पंचायत चुनाव टालने और विधानसभा सत्र को प्रभावहीन चलाने का आरोप
नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि प्रदेश में आई आपदाओं में लगभग पांच सौ से अधिक लोगों की जान गई, हजारों परिवार बेघर हुए और भारी पैमाने पर फसलों व पशुधन का नुकसान हुआ। उनका कहना है कि इन व्यापक नुकसानों के बावजूद सरकार अपने तीन साल पूरे होने का भव्य जश्न मनाने जा रही है, जबकि आज भी हर पीड़ित तक राहत पूरी तरह नहीं पहुंच पाई है। उन्होंने कहा कि यह जश्न ऐसे समय में आयोजित किया जा रहा है जब हजारों लोगों के घर टूटे पड़े हैं और कई परिवार अब भी अस्थायी शिविरों में रहने को मजबूर हैं।
जयराम ठाकुर ने यह भी कहा कि कांग्रेस के कुछ नेता दावा कर रहे हैं कि इस जश्न में दिल्ली से बड़े नेता भी पहुंच सकते हैं। उन्होंने सवाल उठाया कि जब प्रदेश आपदा से उबरने की कोशिश में लगा है, तब ऐसे समारोह की क्या आवश्यकता है? उन्होंने टिप्पणी की कि यदि कांग्रेस के नेताओं में थोड़ी भी संवेदनशीलता और जिम्मेदारी बची है, तो उन्हें इस जश्न को रद्द कर आपदा प्रभावितों को वास्तविक राहत देने पर ध्यान देना चाहिए।
उन्होंने दावा किया कि केंद्र सरकार ने हिमाचल की हर संभव सहायता की है। जयराम ठाकुर के अनुसार 2023 से अब तक केंद्र ने आपदा राहत के लिए 5500 करोड़ रुपए से अधिक भेजे हैं, साथ ही एनडीआरएफ और एनडीएमएफ के तहत लगभग 225 करोड़ रुपए एडवांस के रूप में दिए गए हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि इसके बावजूद राज्य सरकार आपदा प्रभावितों को अब तक 400 करोड़ रुपए वितरित नहीं कर सकी है, जबकि मुख्यमंत्री ने खुद 4500 करोड़ रुपए के विशेष पैकेज की घोषणा की थी। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा हिमाचल के लिए घोषित 1500 करोड़ की सहायता बिल्कुल सुनिश्चित है और उसकी एक-एक पाई हिमाचल को मिलेगी। उन्होंने सवाल उठाया कि मुख्यमंत्री केंद्र से भेजे गए 5500 करोड़ रुपए का विस्तृत हिसाब क्यों नहीं देते।
राजनीतिक मोर्चे पर उन्होंने कहा कि कांग्रेस को पहले से ही चुनावी हार का अंदाज़ा था, इसलिए उसने “वोट चोरी” जैसा माहौल बनाने की कोशिश की। उन्होंने कहा कि बिहार में एनडीए की प्रचंड जीत नरेंद्र मोदी की नीतियों और नेतृत्व की स्वीकृति है। उनका कहना है कि कांग्रेस वहां “एक बोलेरो भर सीटों” में सिमट गई और हिमाचल में भी उसका यही हाल होने वाला है, क्योंकि अब झूठी गारंटियों का दौर समाप्त हो चुका है।
विधानसभा सत्र को लेकर उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री हर बार सत्र लंबा करने की बातें करते हैं, लेकिन सत्र की गंभीरता और गुणवत्ता पर ध्यान नहीं दिया जाता। उनका आरोप है कि विपक्ष द्वारा उठाए गए सवालों का मुख्यमंत्री न गंभीरता से जवाब देते हैं और न ही उनके समाधान की दिशा में ठोस कदम उठाते हैं। उन्होंने कहा कि आपदा पर चर्चा के दौरान भी मुख्यमंत्री सदन में मौजूद नहीं थे और बिहार में राजनीतिक कार्यक्रम कर रहे थे। उन्होंने मांग की कि सरकार सत्र को केवल लंबा करने की बात न करे, बल्कि उसे प्रभावी और सार्थक बनाए तथा विधायकों द्वारा उठाए गए मुद्दों का ईमानदारी से समाधान करे।
संजौली मस्जिद विवाद पर उन्होंने कहा कि सरकार को जन भावना और कानून दोनों का सम्मान करना चाहिए। उन्होंने कहा कि जब कोर्ट ने मस्जिद को अवैध घोषित किया है, तो सरकार को विधिसम्मत कार्रवाई करनी चाहिए और इस मामले में किसी प्रकार की देरी से जनता में गलत संदेश जाएगा।
पंचायत चुनावों पर जयराम ठाकुर ने कहा कि सरकार पहले भी आपदा को बहाना बनाकर चुनाव टालने की कोशिश कर चुकी है और अब भी उसके बयान इस बात की ओर संकेत कर रहे हैं कि वह पंचायत चुनावों को समय पर करवाने के पक्ष में नहीं है। उन्होंने आशंका जताई कि मुख्यमंत्री आगे भी किसी न किसी तरह पंचायत चुनावों में रुकावट डालने की कोशिश कर सकते हैं।



