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क्या बिखर जाएगी एनसीपी? शरद पवार को लेकर भारी अविश्वास

समाचार फर्स्ट डेस्क |

कांग्रेसी गोत्र कि पार्टी 'राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी' (एनसीपी) क्या अब टूट जाएगी? यह सवाल तब गंभीर हो गया है जब पार्टी के धुरंधर नेता अपने अध्यक्ष शरद पवार से धीरे-धीरे किनारा कर रहे हैं। शरद पवार पर अविश्वसनीयता का ख़तरा पार्टी में मंडरा रहा है। पवार एक तरफ विपक्षी एकता तो दूसरी तरफ पीएम नरेंद्र मोदी और बीजेपी के साथ सामंजस्य बनाने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन, उनकी कोशिश उनके दल के नेताओं को रास नहीं आ रही है। पार्टी के नेता उन्हें शक की दृष्टि से देख रहे हैं।

सोनिया गांधी के विदेशी मूल का आधार बनाकर शरद पवार और उनके सहयोगी तारिक अनवर ने कांग्रेस से बगावत की और 1999 में एनसीपी का गठन किया। लेकिन, संस्थापक सदस्य तारिक अनवर के पार्टी से इस्तीफे के बाद हलचल काफी तेज़ हो गयी है। अब पार्टी के दूसरे नेता और महाराष्ट्र अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व अध्यक्ष मुनाफ हकीम ने भी एनसीपी के सभी पदों और प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है। एनसीपी से जुड़े सूत्रों का कहना है कि यह तो अभी शुरुआत है। आगामी दिनों में पार्टी नेतृत्व से खार खाए कई दूसरे नेता अलविदा कह सकते हैं।

शरद पवार पर मनमानी का आरोप

मुनाफ हकीम को भी शरद पवार से वही रंज हैं जो तारिक अनवर को है। मुनाफ हकीम का कहना है कि महाराष्ट्र भर के कार्यकर्ता और पदाधिकारी उनके संपर्क में हैं। सभी लोग राफेल मामले में पार्टी अध्यक्ष के स्टैंड से नाराज़ हैं। मुनाफ का आरोप है कि शरद पवार ने पहले भी पार्टी के बाकी नेताओं से मशवरा किए बिना बड़े फैसले लिए हैं। उन्होंने बताया कि यह पहला मौका नहीं है। इससे पहले भी महाराष्ट्र में बीजेपी की फड़नवीस सरकार को बिना मांगे समर्थन देने का ऐलान भी खुद से ले लिया था। यही नहीं गुजरात में कांग्रेस को नुकसान पहुंचाने के लिए अलग से चुनाव मैदान में उतर आए और एनसीपी पर बीजेपी की टीम-B होने का आरोप लगा।

कांग्रेस को पवार से लगने लगा है ख़तरा

जिस अंदाज में कांग्रेस एग्रेसिव मोड में एंटी मोदी कैंपेन चलाए हुए है, उसमें बतौर सहयोगी एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार की भूमिका रणनीतिक रूप से उसे नुकसान पहुंचाने वाली लग रही है। पवार की दोहरी नीति की वजह से कांग्रेस को खामियाजा भुगतने की आशंका सता रही है। एक तरफ जहां राफेल में कथित घोटाले का मुद्दा बनाकर कांग्रेस बीजेपी के खिलाफ एक बड़ा चक्रव्यूह रच दिया है, वहीं उसे तोड़ने की कोशिश पवार की तरफ से देखी जा रही है।

कांग्रेस शरद पवार की दोहरी नीति का तोड़ खोज रही है। अब जब पार्टी के भीतर विद्रोह पनप रहा है तो कांग्रेस भी इस मौके को जाने नहीं देना चाहती। 2019 के जंग के लिए कांग्रेस पुराने साथियों को दोबारा पार्टी में लेने के लिए ऐलान भी कर दिया है। ख़ास तौर पर तारिक अनवर को लेकर कांग्रेस ने खास दिलचस्पी दिखायी है। माना जा रहा है कि कांग्रेस अनवर को बिहार का अपना सबसे मजबूत चेहरा बना सकती है।

राहुल की लोकप्रियता और पवार का डर!

राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा जोरों पर है कि जिस तरह से कांग्रेस में राहुल गांधी का उभार बढ़ता जा रहा है, उसके मद्देनजर गैर बीजेपी पार्टी के नाते एनसीपी अध्यक्ष पवार को राजनीतिक जमीन खीसकने का डर सता रहा है। महाराष्ट्र कांग्रेस में नेता तो खुलकर इस नैरेटिव पर बोल रहे हैं। उनका कहना है कि राहुल गांधी की बढ़ती लोकप्रियता देख शरद पवार डर गए हैं।

शरद पवार भी काफी अर्से से पीएम की कुर्सी की हसरत पाले हुए हैं। ऐसे में जब से राहुल गांधी ने खुद को बतौर पीएम उम्मीदवार प्रॉजेक्ट किया है, पवार ने इसे चुनौती की तरह देखा है। यही वजह है कि राहुल के पीएम उम्मीदवारी के ऐलान के ठीक बाद शरद पवाल ने बयान दिया कि प्रधानमंत्री कौन होगा यह सीटें हासिल करने के बाद तय होगा।