मंडी के संधोल क्षेत्र में बस अड्डे से लेकर सोहर ओर खुड्डी तक सड़क के आसपास बने अवैध कब्जों पर प्रशासन का पीला पंजा चला। दरअसल, स्थानीय जिला परिषद कश्मीर सिंह के नेतृत्व में पिछले माह संधोल उपतहसील मुख्यालय में बीजेपी कार्यकर्ताओं ने मांग की थी कि बस अड्डे से लेकर सोहर चौक तक सभी अवैध भवनों को लेकर प्रशासन गम्भीर नहीं है। ऐसे में इनको तत्काल यंहा से हटाया जाए।
एसडीएम ने तुरंत स्थानीय तहसीलदार को तामील कर शीघ्र अवैध कब्जों को हटाने के निर्देश दिए। स्थानीय प्रशासन ने 6 तारीख को सभी अवैध कब्जा धारियों को नोटिस जारी कर सड़क के साथ कि गई मार्केशन तक कब्जा खाली करने के नोटिस जारी किए। जिसके चलते आधा दर्जन लोंगो स्वंय ही अपने कब्जे तोड़ डाले। इन कब्जाधरियों ने इस उम्मीद के साथ कब्जे हटाये की प्रशासन सभी के साथ न्याय कर पारदर्शिता बरतेगा।
लोगों ने प्रशासन की मुहीम पर लगाए पक्षपात के आरोप
लेकिन मामला तब गम्भीर हो गया जब बस अड्डे के साथ बनी संधोल सिविल सोसाइटी की आधा दर्जन दुकानों को कुछ राजनीतिक रसूखदारों के प्रभाव में छोड़ दिया जबकि विद्युत विभाग के कार्यलय के बाहर पीला पंजा जरूर पड़ा। ऐसी कार्यवाही देखकर लोंगो के माथे पर बल पड़ गए आखिर ऐसा क्यों हुआ कि एक विभाग के कब्ज़े को मिटाया ओर दूसरे को बख्श दिया।
ऐसे में पूर्व कांग्रेस मंडल अध्यक्ष वीर सिंह ने स्थानीय प्रशासन पर पक्षपात करने का आरोप जड़ते हुए कहा कि महज़ आम लोंगों पर ही प्रशासन कार्यवाही कर रहा है जबकि जहां से शुरुआत करनी चाहिए थी उन्ही लोंगो को बख़्श दिया। मंगलवार सुबह ही दल बल सहित प्रशासन स्थानीय तहसीलदार जगदीश लाल के नेतृव में कार्यवाही शुरू हुई। लेकिन जब सोसाइटी की कमर्शियल दुकानों को नहीं तोड़ा तो हर कोई हैरान तो था ही परेशान भी थे आख़िर इस क्यों और कैसे हुआ।
इधर जब स्थानीय प्रशानिक अधिकारी जगदीश लाल से बात की तो उन्होंने बताया कि कोई भी पिक एंड चूज नहीं है। दस लोंगों को नोटिस जारी किए थे उन पर कार्यवाही होगी ही। जबकि लोक निर्माण विभाग के कनिष्क अभियंता चमन लाल ने बताया कि सड़क के आसपास कितने निर्माण गिराने हैं ये राजस्व अधिकारी ही तय करेंगे। यानी भले ही प्रशासन पारदर्शिता की दुहाई दे रहा है लेकिन राजस्व विभाग ख़ुद ही डिमार्केशन कर खुद ही इस मकड़जाल में फंसता नजर आ रहा है।