अक्तूबर महीने में दिवाली पर्व के आसपास सूबे का लाहौल-स्पीति जिला नए युग में प्रवेश करेगा। चंद मीटर की खुदाई का कार्य पूरा होते ही चीन और पाकिस्तान की सीमा तक जाने वाले मनाली-लेह मार्ग पर बनने वाली महत्वाकांक्षी रोहतांग टनल का काम लगभग पूरा होने वाला है। रोहतांग टनल के दोनों सिरे करीब पांच सप्ताह बाद आपस में जुड़ जाएंगे।
सालभर में भारी बर्फभारी की वजह से लाहुल और केंलांग जैसे इलाके देश-दुनिया से कट जाते हैं। यहां पर रहने वाले लोगों को इस दौरान खासी परेशानी होती है। रोहतांग मार्ग पूरी तरह बंद हो जाता है। इमरजेंसी के दौरान लाहुल घाटी के लोग सड़क सुविधा न होने से फंस जाते हैं। ऐसे में टनल से एंबुलेंस की आवाजाही शुरु होना, उनके लिए किसी संजीवनी से कम नहीं है। देश की सबसे लंबी बनने वाली इस टनल के खुलने से केलांग की मनाली से दूरी 60 किलोमीटर कम हो जाएगी। फिलहाल केलांग मनाली से लगभग 160 किलोमीटर दूर है।
वहीं, इस बार की दिवाली लाहौल घाटी के निवासियों के लिए खास है। इस बार उन्हें बर्फबारी के चलते छह माह तक चलने वाली कैद से सदा के लिए मुक्ति मिल जाएगी। सुरंग आम लोगों के यातायात के लिए अगले साल 2018 में ही खुल पाएगी। यह टनल यातायात के लिए अक्तूबर के बाद इस्तेमाल की जा सकेगी। सर्दियों में बर्फबारी के दौरान मौसम खराब होने सूरत में हेलीकॉप्टर के न आने पर एंबुलेंस को इस टनल से आने की सुविधा अक्तूबर से शुरू हो जाएगी।
अत्याधुनिक सुविधाओं से लेस इस टनल की खुदाई का कार्य इन दिनों साउथ तथा नॉर्थ पोर्टल से चला हुआ है। दोनों ओर से कार्य प्रगति पर है। वहीं, रोहतांग टनल का निर्माण कर रहे बीआरओ के प्रवक्ता राजेश अरोड़ा ने बताया कि 215 मीटर की खुदाई पूरी होते ही अक्तूबर के दूसरे या तीसरे हफ्ते तक रोहतांग सुरंग के दोनों सिरे आपस में मिल जाएंगे।