केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के संयुक्त मंच और राष्ट्रीय फेडरेशनों के आह्वान पर हिमाचल में भी धरना प्रदर्शन हुए। राजधानी शिमला में मजदूर यूनियनों ने लोअर बाज़ार से रैली निकालकर केंद्र और राज्य सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। शिमला में मजदूरों ने पंचायत घर से लेकर राज्य सब्ज़ी मंडी तक रैली निकाली।
यूनियन नेताओं ने कहा कि वर्तमान मोदी सरकार बड़े घरानों के लिए कार्य कर रही है। सरकार की जनविरोधी नीतियों के चलते देशभर में पंद्रह लाख मजदूरों को नौकरी से हाथ धोना पड़ा है। श्रम कानूनों की अवहेलना की जा रही है। पक्के रोजगार के बजाए आउटसोर्स, अनुबंध और पार्ट टाइम पर नौकरियां दी जा रही हैं। किसान आत्महत्याएं कर रहे हैं।
ट्रेड यूनियनों की मांग हैबकी मजदूरों का न्यूनतम वेतन 18 हजार रुपये किया जाए। आंगनबाड़ी, मिड डे मील और आशा वर्करों को नियमित किया जाए। श्रम कानूनों में मजदूर विरोधी परिवर्तनों पर रोक लगाई जाए। सार्वजनिक क्षेत्रों को बेचने की प्रक्रिया पर रोक लगाई जाए। सभी कर्मचारियों के लिए ओल्ड पेंशन स्कीम बहाल की जाए। आउटसोर्स और अनुबंध नीति पर रोक लगाई जाए। समान कार्य के लिए समान वेतन दिया जाए। मनरेगा में एक सौ बीस दिन का रोजगार सुनिश्चित किया जाए।