आज बसंत पंचमी का बड़ा त्यौहार है। भारत के कुछ हिस्सों में बसंत पंचमी से कुछ दिन पहले ही पांडालों में मां सरस्वती की प्रतिमा स्थापित की जाती है और बसंत पंचमी के दिन धूमधाम से देवी सरस्वती का पूजनोत्सव करने के बाद अगले दिन प्रतिमा को विसर्जित कर दिया जाता है। उत्तर भारत के कई हिस्सों में बसंत पंचमी को श्री पंचमी और सरस्वती पंचमी के नाम से भी जाना जाता है।
बसंत पंचमी का इतना ज्यादा महत्व है कि मथुरा में बांकेबिहारी मंदिर में इसी दिन से रंगोत्सव की शुरूआत की जाती है। लेकिन क्या आपको मालूम है कि बसंत पंचमी पर पीले रंग का अधिक महत्व क्यों होता है अर्थात् पीला रंग इतना खास क्यों होता है। आइये जानते हैं।
बसंत पंचमी पीले रंग का महत्व
वास्तव में पीले रंग को वसंत का प्रतीक माना जाता है। वसंत ऋतु एक ऐसी ऋतु है जो सभी मौसमों और सभी ऋतुओं में सबसे बड़ी है। इस मौसम में न तो अधिक तेज धूप महसूस होती है, ना ही सर्दी और ना ही गर्मी और ना ही बारिश। वसंत ऋतु को गुलाबी ठंड का मौसम कहा जाता है।
यह मौसम बहुत सुखद होता है। इस मौसम में चारों तरफ पीली सरसों के फूलों से लहलहाते खेत दिखायी देते हैं जो मन में ऊर्जा भर देते हैं। इसके साथ ही वसंत ऋतु का आगमन होने पर आम के पेड़ों में बौर आने लगते हैं और अन्य पेड़ों में नयी ताजी पत्तियां और फूल आने लगते हैं। यही कारण है कि वसंत ऋतु या वसंत पंचमी पर पीले रंग का खास महत्व होता है।
इसके अलावा यह भी माना जाता है कि वसंत पंचमी के दिन सूर्य उत्तरायण होता है। इस दौरान धरती पर पड़ने वाली सूर्य की पीली किरणें हमें सूर्य की तरह गंभीर और ओजस्वी बनने का संकेत देती हैं। उत्तरायण के दौरान सूर्य की इन पीली किरणों के कारण भी वसंत पंचमी पर पीले रंग का बहुत महत्व है। इस दिन स्त्री पुरुष और विद्यार्थी पीले रंग का वस्त्र पहनकर विद्या की देवी मां सरस्वती की आराधना करते हैं।