रामपुर से 5 बार कांग्रेस के विधायक और मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के खास रहे सिंघी राम की नेता प्रतिपक्ष प्रेम कुमार से मुलाकात के बाद चर्चाओं का बाजार गर्म है। इस बारे में जब सिंघी राम से पूछा गया तो सिंघी राम ने कहा कि धूमल के साथ उनकी शिष्टाचार की बैठक थी और कुछ नहीं था। जब उनसे पूछा गया कि वह अपने समर्थकों के साथ 21 सितंबर को बैठक करेंगे, तो उन्होंने कहा कि हां वह बैठक करेंगे और चुनावों को लेकर चर्चा करेंगे।
शाह की रैली से एक दिन पहले सिंघी की बैठक के कई मायने
अमित शाह की कांगड़ा रैली से ठीक एक दिन पहले इस बैठक का होना यह संकेत दे रहा है कि बीजेपी अपर हिमाचल में अपनी गेम फिट करने में लगी हुई है। अगर सिंघी राम बीजेपी में शामिल हो जाते हैं तो बीजेपी को इससे कांग्रेस के वोट बैंक में सेंध लगाने का अच्छा मौका मिल जाएगा। कांग्रेस सरकार और संगठन ने जिस तरह से सिंघी राम को हाशिये पर रखा है उसके बाद अगर सिंघी राम ये कदम उठा दें तो हैरानी नहीं होगी।
हैरानी: कांग्रेस नेता को नहीं पता, सिंघी के पास क्या जिम्मेदारी
एक कांग्रेस नेता से जब सिंघी राम के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि कहा कि सिंघी राम ने धूमल से किसी और वजह से मुलाकात की होगी, मैं नहीं मानता कि वह बीजेपी में शामिल हो सकते हैं। लेकिन, हैरानी तब हुई जब कांग्रेस नेता से यह पूछा गया कि सिंघी राम के पास क्या जिम्मेदारी है, तो उन्हें इसकी जानकारी ही नहीं थी। इस बात से पता चलता है कि सिंघी राम को कांग्रेस कितनी तवज्जो देती है।
CM से अनबन के बाद रहे हाशिये पर
अब रहा सवाल कि सिंघी राम हाशिये पर क्यों हैं? तो बता दें कि 2003 में जब उनको शिक्षा मंत्री बनाया गया था तो शिक्षा बोर्ड में घोटाला सामने आया था। इसके बाद से मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के साथ इनके संबंध खराब होते चले गए और वह आज तक रामपुर में नहीं जीत सके। क्योंकि, रामपुर वीरभद्र सिंह का गृह जिला है और यहां पर वही नेता जीतता है जिसको उनका आशीर्वाद हो।