छात्र अभिभावक मंच ने निजी स्कूलों की मनमानी, लूट और भारी फीसों के खिलाफ आंदोलन को तेज करने का निर्णय लिया है। दूसरे चरण के आंदोलन में निजी स्कूलों के बाहर प्रदर्शन होंगे। मंच ने शिक्षा विभाग के अधिकारियों और निजी स्कूलों के प्रबंधन को चेताया है कि वे फीसें कम करें और 18 मार्च 2019 की शिक्षा विभाग की अधिसूचना को लागू करके अभिभावकों को आर्थिक राहत प्रदान करें अन्यथा आंदोलन निर्णायक मोड़ लेगा।
मंच के संयोजक विजेंद्र मेहरा ने छात्र अभिभावक मंच के दूसरे चरण के आंदोलन की घोषणा की। उन्होंने कहा कि यह आंदोलन 22 मार्च को निजी स्कूलों के बाहर धरने-प्रदर्शनों से शुरू होगा और इस चरण का समापन 8 अप्रैल को शिक्षा निदेशालय पर महापड़ाव से होगा। इस दौरान मंच का प्रतिनिधिमंडल प्रधान सचिव शिक्षा और शिक्षा मंत्री से भी मिलेगा। मंच ने इस आंदोलन को "प्राइवेट स्कूलों की मनमानी,लूट और भारी फीसों के खिलाफ "शिक्षा निदेशालय चलो" का नाम दिया है।
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इस आंदोलन के तहत अब निरन्तर प्राइवेट स्कूलों के बाहर धरने-प्रदर्शन होंगे और तब तक जारी रहेंगे जब तक कि अभिभावकों को न्याय नहीं मिलता है। विजेंद्र मेहरा ने अभिभावकों से अपील की है कि वे खुलकर इस आंदोलन का समर्थन करें व इसमें भागीदारी सुनिश्चित करें ताकि बेलगाम प्राइवेट स्कूलों पर शिकंजा कस जा सके। उन्होंने अभिभावकों से आग्रह किया है कि वे सोलन के सेंट ल्यूक्स स्कूल के अभिभावकों की तर्ज़ पर मजबूत एकता का परिचय दें जहां पर आंदोलन के फलस्वरूप प्रबंधन ने फीसों को 25 हज़ार रुपये से लगभग आधा करके 13 हज़ार रुपये कर दिया है।
उन्होंने कहा कि प्राइवेट स्कूल हर तरह से अभिभावकों का शोषण करके उन्हें निचोड़ रहे हैं। प्लस वन की पूरे साल की फीस छात्रों से एडवांस में ली जा रही है और नियमित एडमिशन न देकर उन्हें प्रोविजनल एडमिशन दी जा रही है जिसमे स्पष्ट किया गया है कि अगर कोई छात्र किसी कारणवश स्कूल छोड़ देता है अथवा फेल हो जाता है तो हज़ारों रुपये फीस के रूप में एडवांस में ली गई भारी भरकम फीस उसे रिफंड नहीं की जाएगी। प्लस वन में छात्रों की स्ट्रीम अथवा संकाय भी स्कूल प्रबंधन अपनी मनमर्ज़ी से आवंटित कर रहे हैं और स्कूल के रिजल्ट बेहतर दर्शाने के लिए छात्रों की मानसिक प्रताड़ना कर रहे हैं जोकि चाइल्ड राइट प्रोटेक्शन एक्ट और संविधान के अनुच्छेद 39(एफ) का खुला उल्लंघन है जिसमें छात्रों को कुछ नैतिक और भौतिक अधिकार दिए गए हैं।
मंच का कहना है कि अब अभिभावक प्राइवेट स्कूलों की मनमानी को नहीं मानेंगे और इस लड़ाई को निर्णायक मोड़ तक ले जाएंगे। उन्होंने शिक्षा विभाग के अधिकारियों को चेताया है कि अगर 18 मार्च 2019 के शिक्षा विभाग के आदेश लागू न हुए और फीसों में कटौती न की गई तो अभिभावकों का आंदोलन और उग्र हो जाएगा।