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पांवटा साहिब: स्टील प्लांट से निकलने वाला धुआं लोगों के लिए बना जी का जंजाल

रोबिन, पावंटा साहिब |

पांवटा साहिब क्षेत्र के धौला कुआं में एक स्टील प्लांट से निकलने वाला धुआं लोगों के लिए जी का जंजाल बना हुआ है। स्थानीय लोगों का मानना है कि फैक्ट्री से रोज कई बार खतरनाक धुआं निकलता है जिसकी वजह से क्षेत्र के लोगों में कई तरह कै त्वचा रोग फैल रहे हैं। हालांकि उद्योग दिनदहाड़े, सरेआम जहरीला धुंआ उगलता है, बावजूद इसके उद्योग के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं हो रही है।

वैली आयरन स्टील प्लांट से निकल रहा यह धुआं न सिर्फ प्रदूषण मानकों के धज्जियां उड़ा रहा है बल्कि क्षेत्र के लोगो को बीमारियां भी दे रहा है। क्षेत्र के ग्रामीणों की मानें तो इस क्षेत्र में  धुएं के कारण दो लोगों को अभी घातक बीमारी हो चुकी है  जिनका की उपचार गांव के लोगों को महंगी दवाइयां लेकर करना पड़ रहा है।

धौला कुआं क्षेत्र में दिन रात प्रदूषण उगलता यह प्लांट कितने ही लोगों को मौत की नींद सुला चुका है और ना जाने कितने लोग बेहद गंभीर त्वचा रोगों से जूझ रहे हैं। हालात इतने गंभीर हो गए हैं कि कई परिवार प्रदूषण के चलते हैं इस क्षेत्र से अपना घर बार और जमीन छोड़कर अन्य जगहों पर चले गए हैं। जबकि कुछ परिवार हालात ना सुधरने पर जल्द ही यहां से पलायन कर जाएंगे।

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 प्रदूषण की मार सिर्फ इंसानों पर ही नहीं पड़ रही है। बल्कि क्षेत्र के पालतू पशुओं और उपजाऊ जमीन पर भी प्रदूषण की मार पड़ रही है। खेतों में फसलें होनी कम हो गई है और पशु भी प्रदूषित घास पत्ती खाकर बीमार हो रहे हैं। ऐसा भी नहीं है कि  प्रशासन,  राजनेता  और जिम्मेदार विभागों को  दिन रात जहरीला धुआं उगलते इस उद्योग के बारे में पता नहीं है  लेकिन ग्रामीणों की विडंबना है कि ना तो कोई प्रदूषण रोकने के लिए उद्योग के खिलाफ एक्शन ले रहा है न ही प्रदूषण की मार झेल रहे बीमार ग्रामीणों की सहायता के लिए कोई हाथ आगे बढ़ रहा है। ऐसे में ग्रामीण लचर और भ्रष्ट व्यवस्था को कोस रहे हैं।

देश और प्रदेश में प्रदूषण नियंत्रण के लिए बेहद कड़े कानून बनाए गए हैं। लेकिन वैली आयरन स्टील प्लांट को देखकर लगता नहीं है कि इन उद्योग पतियों के समक्ष कोई भी कानून प्रभावी है। अधिकारी क्या राजनेता क्या, सब के दर पर शिकायत पहुंची है, लेकिन कार्यवाही के नाम पर अभी तक सिर्फ लीपापोती हो रही है। हैरानी की बात यह है कि यहां यह हालात पिछले कई दशकों से है। लेकिन सुधार के नाम पर कोई कदम कभी नहीं उठाया गया।

 वैली आयरन स्टील प्लांट के कहानी स्वयं यह तस्वीरें बयां कर रही है। लोग अपनी दास्तान कैमरे के सामने बयां कर रहे हैं और प्रदूषण के दिए जख्म भी किसी से छुपा नहीं है। बावजूद इसके प्रदूषण रोकने के लिए जिम्मेदार प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारी बेहद बचकाना दलीलें दे रहे हैं। बोर्ड के एसई डॉ. श्रवण कुमार का कहना है कि ना तो स्टील फैक्ट्री प्रदूषण फैला रही है न ही ऐसे किसी प्रदूषण के कारण क्षेत्र के लोगों को इस तरह के कोई रोग हो रहे हैं। डॉ. श्रवण कुमार बताते हैं कि स्टील प्लांट प्रदूषण रोकने के लिए निर्धारित मानकों पर खरा है।