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वीरभद्र के विधानसभा क्षेत्र से उठी आवाज, ‘रोड नहीं तो वोट नहीं’

रिकी योगेश |

सरकारें जहां आज चहुंमुखी विकास के दावे कर रही हैं, वहीं सोलन जिले के तहत एक ऐसा गांव है जहां एक सड़क ना होने के चलते बच्चे शिक्षा से वंचित होते जा रहे हैं। जिला सोलन के अर्की विधानसभा क्षेत्र के तहत दूर दराज ग्राम पंचायत बेरल के अंतर्गत गांव बोही में ग्रामीण सड़क ना होने के कारण लोग एकमत होकर लामबंद हो गए हैं। मंगलवार को बोही गांव में सरकारों के उदासीन रवैये के चलते ग्रामीणों ने जमकर विरोध किया और लोकसभा चुनावों में वोट ना डालने का निर्णय लिया।

लोगों ने अपने विरोध स्वरूप हाथों में तख्ती लेकर गांव में रैली निकाली, जिसमें इन्होंने केवल उसी पार्टी को वोट देने की शर्त रखी है, जो इनके गांव में सड़क बनाने के वादे को पूरा करेगी। रोड नहीं तो वोट नहीं का नारा लिखे हाथों में तख्ती लिए पूरे गांव में ग्रामीणों ने भ्रमण किया।

सड़क ना होने से स्कूल छोड़ने को है मजबूर:-

लोगों का कहना है कि सड़क न होने के कारण जहां कई लड़कियों ने स्कूल ही छोड़ दिया है, तो कुछ लड़कियां अन्य छात्रों के साथ 6 किलोमीटर जंगल के रास्ते से स्कूल जाने को मजबूर हैं। इस कारण बहुत से बच्चों ने पांचवीं के बाद ही स्कूल छोड़ दिया है। अगर ऐसा ही रहा तो गांव के अधिकतर बच्चे अनपढ़ ही रह जाएंगे।

 70 साल बाद भी नही मिल पाई हैं मूलभूत सुविधाएं:–

बोही गांव के स्थानीय निवासी टिकु राम ने कहा कि आजादी के 70 साल बीत जाने के बावजूद भी आज तक गांव में पक्की सड़क तो दूर पक्का रास्ता तक नहीं है। उन्होंने बताया कि स्थानीय स्कूल की हालत भी जर्जर है। इन 70 वर्षों के बीच सभी दलों की सरकारें आईं, परंतु आज तक किसी ने इस गांव की सुध नहीं ली है। जब भी चुनाव नजदीक आते हैं तो उन्हें लुभावने सब्जबाग दिखाकर वोट लेने के बाद अंगूठा दिखा दिया जाता है।

बच्चियों को डर से नहीं भेजते स्कूल:–

गांव के युवक ने बताया कि स्कूल तक जंगली रास्ता होने के चलते बच्चियों के साथ कोई दर्दनाक हादसा न हो इसलिए बच्चियों को स्कूल नहीं भेजा जाता है, जो भी गांव की बच्ची अन्य बच्चों के साथ स्कूल जाती है, जब तक वह घर न आ जाएं परिजनों की सांस हलक में अटकी रहती है।

जंगली रास्ता होने से बना रहता है डर:–

वहीं, जंगली रास्ता होने के चलते जंगली जानवरों के हमले का भी डर हमेशा बना रहता है। गांव की बुजुर्ग महिला ने कहा कि सड़क ना होने के कारण डिपो से मिलने वाला राशन भी महिलाओं को सर पर उठाकर घर तक लाना पड़ता है। जिसके चलते ग्रामीणों में सरकार के प्रति भारी रोष है। महिला ने चेतावनी देते हुए कहा कि जब तक सड़क नहीं दी जाती है, तब तक सभी लोग चुनावों में मतदान नहीं करेंगे।