बढ़ती उम्र इलाज में बाधक नहीं हो सकती बशर्ते इलाज करने वाला डॉक्टर अनुभवी हो और चिकित्सा सुविधाएं अत्याधुनिक हों। फोर्टिस कांगड़ा में इन दोनों विशेषताओं की वजह से 80 वर्षीय मरीज के प्रोस्टेट की सर्जरी की गई। इस मरीज के प्रोस्टेट का साइज सामान्य से बहुत बड़ा था, वहीं डायबिटीज और हार्ट की स्थिति भी सामान्य नहीं थी। मरीज की इस चुनौतिपूर्ण स्थिति को देखते हुए अन्य संस्थानों ने उपचार के लिए हाथ खड़े कर दिए थे।
दरअसल, मैक्लोडगंज निवासी 80 वर्षीय डोंदुप कई सालों से प्रोस्टेट की बीमारी से पीड़ित चल रहे थे। प्रोस्टेट के साइज बहुत बढ़ जाने से उन्हें कई दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था, जिसमे पेशाब में रुकावट सबसे बड़ी समस्या थी। चूंकि मरीज की उम्र ज्यादा थी और उन्हें अन्य बीमारियों ने भी जकड़ रखा था, इसलिए मुनासिब इलाज नहीं मिल पा रहा था। मरीज ने जिस अस्पताल में भी इलाज के लिए गुहार लगाई, निराशा ही हाथ लगी। आखिर उन्होंने फोर्टिस कांगड़ा का रुख किया। अस्पताल के यूरोलॉजी स्पेशलिस्ट डॉ अनिल कायस्था ने मरीज का परीक्षण किया तो पाया कि मरीज का प्रोस्टेट बहुत बढ़ चुका है, साथ ही पौना लीटर से आधिक पेशाब यूरिन ब्लैडर में भरा हुआ था।
शरीर के अन्य अंगों खासकर हार्ट की स्थिति भी अनयंत्रित थी। ऐसे में सर्जरी करना एक बड़ी चुनौती थी, लेकिन यही एकमात्र विकल्प भी था। मूत्र रोग उपचार में 40 वर्ष से अधिक का तजुर्बा रखने वाले डॉ कायस्था ने इस चुनौती को स्वीकार किया और सर्जरी करने का निर्णय लिया। उन्होंने एनेस्थीसिया की टीम के साथ सफल सर्जरी को अंजाम दिया। डॉ कायस्थ ने बहुत सधे ऑपरेशन की प्रक्रिया में 330 ग्राम प्रोस्टेट निकाल दिया। प्रोस्टेट का ये साइज सामान्य अकार से बहुत अधिक माना जाता है और इस साइज का प्रोस्टेट अकसर मरीजों में नहीं होता है। सामान्यता प्रोस्टेट का साइज 100 से 120 ग्राम के बीच होता है।
इस सम्बन्ध में डॉ अनिल कायस्था ने कहा इस तरह के प्रोस्टेट की सर्जरी करना जटिल कार्य होता है, खासकर जब मरीज की उम्र ज्यादा और वह अन्य बीमारियों से भी पीड़ित होता है। उन्होंने कहा कि इस तरह की सर्जरी को अंजाम देने में फोर्टिस कांगड़ा पूरी तरह से निपुण है। उन्होंने कहा कि फोर्टिस कांगड़ा का यूरोलॉजी विभाग मूत्र रोगों की हर चुनौती से निपटने में सक्षम है।