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मंडी: पंजाब से सुंदरनगर पहुंचे DSP ने छिपाई ट्रेवल हिस्ट्री, स्वास्थ्य विभाग पर केस दर्ज किया

बीरबल शर्मा |

मंडी के सुंदरनगर हॉस्पिटल के नाम पर जो एफआईआर डीएसपी रबिन्नी मिन्हास द्वारा की गई है। उन आरोपों पर हिमाचल मेडिकल ऑफिसर्ज एसोसिएशन मंडी इकाई ने कड़ा संज्ञान लिया है। संघ के जिला प्रधान ने प्रेस को जारी किए गए बयान में कहा कि डीएसपी कोई आम व्यक्ति नहीं है और सब प्रोटोकॉल उन्हें पता है। डीएसपी ने अपने आने की सूचना को छिपाया है। उन्होंने अपने आने की जानकारी स्वास्थ्य विभाग और एसडीएम सुंदरनगर को नहीं दी। यदि होम क्वारंटाइन में थे और खुद को सस्पेक्ट समझ रहे थे तो उनको हॉस्पिटल में आकर हॉस्पिटल के परिसर में नहीं घूमना चाहिए था।

उन्हें एडमिनिस्ट्रेशन को या हेल्थ डिपार्टमेंट को दूरभाष से बताना चाहिए था कि उन्होंने मोहाली पंजाब में किसी अस्पताल में कोई ऑपरेशन करवाया है। इससे उनको समयवद्ध तरीके से कोविड 19 टेस्ट किया जाता। इसके उलट डीएसपी साहब पूरे हॉस्पिटल में 2 दिन से घूमते रहे। अस्पताल से उनका कोविड-19 का सैंपल लेना और नेरचौक मेडिकल कॉलेज में समय अनुसार ही और प्रोटोकॉल के तहत ही भेजा गया। कोविड-19 का टेस्ट लेने में कोई कोताही नहीं बरती गई और ना ही सैंपल देरी से भेजा गया।

उनका टेस्ट नेगेटिव है लेकिन डीएसपी ने जो यह ना गुजार हरकतें की है वे एकदम कानून के खिलाफ है। साथ ही इन्होंने एपिडेमिक् एक्ट की भी सरेआम धज्जियां उड़ाई हैं। मंडी हिमाचल मेडिकल आफिसर्ज एसोसिएशन इकाई इस बात की कड़ी निंदा करती है। यदि दुर्भाग्यवश वह कोविड-19 पॉजिटिव होते तो पूरा सिविल हॉस्पिटल सुंदरनगर सील करना पड़ जाता। एक सरकारी मुलाजिम होने के बावजूद इन्होंने लोगों की जान को खतरे में डाला। ऊपर से स्वास्थ्य विभाग के कहने पर उनपर ही केस दर्ज कर लिया।

डीएसपी अपनी गलती मानने के बजाए हैल्थ केयर वर्कर जोकि कोरोना के खिलाफ लडाई में अपनी जान जोखिम में डालते हुए काम कर रहे हैं। उन्हीं को डराने का प्रयास कर रहे हैं। स्वास्थ्य संघ प्रशासन से यह मांग करती है कि डीएसपी के खिलाफ कानूनन केस रजिस्टर करवा कर एपिडेमिक् एक्ट तहत उचित कार्रवाई की जाए। मेडिपर्सन एक्ट की भी नोटिफिकेशन की जाए जोकि पहले ही कैबिनेट में पास हो चुका है।

दरअसल, डीएसपी बिन्नी मन्हास पंजाब से ऑपरेशन करवाकर सुंदरनगर मंडी लौटे थे और उन्होंने अपनी ट्रेवल हिस्ट्री किसी से शेयर नहीं की। इस दौरान वे अपने इलाज के लिए लगातार 2 दिन अस्पताल आते रहे और किसी को कोई ख़बर नहीं लगी। जब डॉक्टरों को इसकी जानकारी लगी तो उन्होंने इस बात पर ख़ेद जताया और उन्हें लॉकडाउन और क्वारंटीन का पाठ पढ़ाया। जब डीएसपी साहिब स्वस्थ हुए तो उन्होंने अस्पताल के नाम मामला दर्ज कर लिया। जबकि अस्पताल के कोरोना वॉरियर ने डीएसपी को सही समझाया था।