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वनों को आगज़नी से बचाने के लिए किए जरूरी इंतज़ाम: वन मंत्री

पी. चंद |

हिमाचल प्रदेश के जंगलों में हर साल आगजनी से करोड़ों की संपत्ति स्वाह हो जाती है। इस बार लॉक डाउन के चलते वनों में पिछले सालों के मुकाबले कम आग लगी है। दूसरा लगातार बारिश ने भी वनों के नुकसान को बचाए रखा है। पहाड़ी प्रदेश हिमाचल के कुल क्षेत्रफल का 66 फीसदी हिस्सा वन क्षेत्र का है। भारतीय पक्षियों की 36 फीसदी प्रजातियां यहां के जंगलों में पाई जाती हैं। देश में पक्षियों की कुल 1228 प्रजातियां हैं, जिनमें से 447 हिमाचल में पाई जाती हैं, इसके अलावा राज्य में 77 स्तनधारी जानवरों की प्रजातियां पाई जाती हैं।

वन मंत्री गोविंद सिंह ठाकुर का कहना है कि जैसे-जैसे गर्मी बढ़ रही है। जंगलों में आगज़नी का ख़तरा भी बढ़ जाती है। घास की लालच और अन्य कारणों से लोग जंगलों के हवाले कर देते है। आग से ही जंगलों को सबसे ज़्यादा नुकसान होता है। जंगलों को आगज़नी से बचाने के लिए लगातार वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से वन अधिकारियों और कर्मियों को हिदायतें दी जा रही है। फायर वॉचर की नियुक्तियां भी कर ली गई है, फायर किट के अलावा जो भी ज़रूरी समान है वह वन विभाग के पास मुहैया करवा दिया है। ताकि आगज़नी से जंगलों को बचाया जा सके।

राज्य में 26 वन अग्नि संवेदनशील क्षेत्र हैं। प्रदेश की 2026 वन बीटों में से 339 उच्च संवेदनशील, 667 मध्यम और 1020 निम्न संवेदनशील क्षेत्र हैं। 2016-17 में प्रदेश में 1789 और वर्ष 2017-18 में 670 घटनाएं दर्ज की गई थी। ऐसे में जनसहयोग के बिना बचाए रखना सरकार और विभाग के लिए बड़ी चुनौती होगी।